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शहीद के मेडल पर पहला हक किसका, पत्नी या माता-पिता का? कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत के बाद छिड़ी बहस

बात केवल कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता की नहीं, पूरे गांव की है। लोगों को लगता है कि स्मृति को प्यार केवल अंशुमान के पदकों और उनके पैसों से था। अंशुमान के चाचा कहते हैं कि बात पैसों की नहीं बात सम्मान की है। अंशुमान के ही एक दूसरे चाचा स्मृति के इस बर्ताव से बेहद खफा दिखे। वह कहते हैं कि अंशुमान के शहीद होने के बाद उसने सारे रिश्ते-नाते तोड़ लिए, पैसा, पदक सब कुछ साथ लेकर चली गई। अंशुमान के लिए लखनऊ में पूजा रखी गई वह उसमें भी नहीं आई। वह मरणोपरांत मिलने वाले पदक और आर्थिक सहायता पर मौजूदा कानून में बदलाव की मांग भी करते हैं।

Sun, Jul 21, 2024