Ghosi Loksabha Chunav Survey: ना सपा ना बसपा तो घोसी में किसका है जोर?

 

Ghosi Loksabha Chunav Survey 2024:  वैसे तो अभी आम चुनाव 2024 के लिए तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. लेकिन सियासी माहौल गरम है. कहते हैं कि राजनीति की असली समझ विकसित करनी हो तो छोटे छोटे कस्बों से बेहतर कोई और जगह नहीं हो सकती है. आपको तमाम ऐसी जानकारियां मिलेंगी जिसे शायद आप ना तो जानते हों या उस हद तक सोच पाते हों. इंडिया अड्डा की टीम ने घोसी लोकसभा के दोहरीघाट कस्बे की दौरा किया और यह जानने की कोशिश की उनके मन में क्या है. हमने कई सवाल किए और उसका जवाब भी बिंदास अंदाज में मिला.

कुछ ऐसा है घोसी का मिजाज

सवाल मौजूदा सांसद के बारे में था. सवाल बीजेपी के संभावित उम्नीदवार को लेकर था. सवाल पीएम मोदी को लेकर था. सवाल सपा और बसपा को लेकर था. हर सवाल के अपने रंग थे तो जवाब देने का अंदाज भी बेबाक था. मसलन अल्पसंख्यक समाज के एक शख्स से पूछा गया कि पीएम मोदी से बेहतर कोई है तो जवाब ये था कि अगर कोई शख्स पिछले 10 साल से देश की सर्वोच्च गद्दी पर कायम हो तो आप खुद ब खुद अंदाजा लगा सकते हैं.वो बताते हैं कि इसमें दो मत नहीं कि वो इस समय देश के सबसे बेहतरीन पीएम हैं. लेकिन उनसे एक अपील भी है कि थोड़ा महंगाई पर नियंत्रण हो. आखिर चार सौ रुपए किलो लहसुन को कौन खरीद पाएगा. आम आदमी के सामने और कोई दूसका विकल्प क्या है.

शर्मा जी का जलवा बरकरार
एक सवाल योगी सरकार में मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के विषय में था. सवाल वही कि अगर उन्हें बीजेपी की तरफ से सांसद का टिकट मिला तो क्या चुनाव जीत सकेंगे. इस सवाल के कई जवाब थे. हालांकि एक बात जो कॉमन थी वो ये कि हमें तो वही दल पसंद है जो प्रदेश-देश में सत्ता पर काबिज है.सर्वे में शामिल लोगों ने कहा कि यह बात तो सच है कि कल्पनाथ राय के बाद कोई ऐसा शख्स इस जनपद को मिला है जो इलाके में विकास की ना सिर्फ बात बल्कि जमीन पर विकास की योजनाएं भी नजर आ रही हैं.अगर बीजेपी की तरफ से उन्हें मौका मिलता है तो संसदीय क्षेत्र के लिए उससे बेहतर क्या और हो सकता है.

‘वो तो बेचारे जेल में हैं’

लोगों के मूड को समझने के क्रम में घोसी के मौजूदा सांसद अतुल राय के बारे में भी सवाल थे. लोगों ने कहा कि बेचारे वो तो जेल में है उनसे और क्या उम्मीद कर सकते हैं.कुछ लोगों ने सीधे तौर पर कहा कि वो वोट नहीं करेंगे. हालांकि कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्हें सपा या बसपा में उम्मीद नजर आ रही थी. बता दें इस पूरे सर्वे प्रोसेस में मौके पर ही सवालों को डिजाइन किया गया था और लोगों के मूड को परखने की कोशिश की गई थी.