कुछ इस तरह सोचता है हाथरस, मौजूदा सांसद का नाम लेते ही भड़की जनता

 

Hathras Loksabha Elections 2024: लोक सभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और किस शहर में कब मतदान होगा इसका शेड्यूल भी आ गया है। ऐसे में इंडिया अड्डा की टाम काका हाथरसी के शहर हाथरस के चुनावी मिजाज का जायजा लेने पहुंच गई। पूरी दुनिया में अपने हींग के लिए मशहूर हाथरस यूपी के सबसे पुराने शहरों में से एक है। हाथरस का इतिहास महाभारत और हिन्दू धर्मकथाओं से जुड़ा हुआ है। ये एक ऐसा स्थान है जहां परजाट, कुषाण, गुप्त और मराठा सबका शासन रहा है। ऐतिहासिक विरासत सजोएं हुए हाथरस 5 जी के दौर में एक अलसाए शहर के रूप में नजर आता है। जहां लोकसभा चुनाव तो साल 1962 से हो रहे हैं, लेकिन विकास की यात्रा अभी भी रफ्तार नहीं पकड़ पाई और इसका दर्द इस शहर के निवासियों में हर तरफ दिखता है।

गुस्सा तो है लेकिन..
कारोबारी ललित का दर्द अकेला नहीं है, आप हाथरस के किसी इलाके में जाइए, लोगों को इस बात की टीस है कि जिला होने के बावजूद हाथरस विकास की पटरी पर तेजी से नहीं दौड़ रहा है। लेकिन वह यह भी कहते हैं कि हाथरस के समीकरण ऐसे हैं कि भाजपा ही जीतेगी। असल में 1991 से राम लहर के बाद से भाजपा का इस सीट पर कब्जा रहा है।

2014, 2019 से बीजेपी का कब्जा

बीजेपी के कृष्ण लाल दिलेर 1996 से 2004 तक सांसद रहे। कृष्‍ण लाल दिलेर हाथरस के वर्तमान सांसद राजवीर सिंह दिलेर के पिता रहे हैं। 2009 में जब राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की, तब रालोद-बीजेपी का गठबंधन था। 2014 में तो बीजेपी के राजेश कुमार दिवाकर ने यहां से प्रचंड जीत दर्ज की। शायद इसी वजह से सांसद रजवीर सिंह से नाराजगी के बावजूद लोग भाजपा की जीत का दावा कर रहे हैं।

हाथरस से अभी तक भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। शायद पार्टी को स्थानीय स्तर पर नाराजगी का अंदाजा है। ऐसे में उम्मीदवार को लेकर उहापोह है। हालांकि इंडिया अलायंस यानी सपा कांग्रेस ने एक अनजान चेहरे जसवीर वाल्मीकि, को मैदान मेंउतारा है। लेकिन लगता है कि लोगों की नाराजगी का फायदा उठाने में अखिलेश और राहुल गांधी पिछड़ रहे हैं। और उसका इन डायरेक्ट फायदा भाजपा को मिल रहा है।

मोदी- योगी से नाराजगी नहीं

हाथरस की जनता का मूड एक बात के लेकर तो पूरी तरफ साफ है कि यहां काम नहीं हुए हैं। लेकिन मोदी मैजिक उन पर हावी है। खास तौर से लोगों को सड़क निर्माण और कानून व्यवस्था को लेकर संतुष्टि है। इसी तरह पीएम आवास योजना, गरीब कल्याण योजना के तरह मिलने वाला फ्री राशन लोगों को बहुत लुभा रहा है। इसीलिए वह मोदी के नाम पर एक बार फिर भाजपा को वोट देने के मूड में नजर आ रहे हैं।

इस पूरी पड़ताल में काका हाथरसी का शहर अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहा है। और वह अपनी नई पहचान के साथ दुनिया की रफ्तार के साथ दौड़ना चाहता है। अब देखना है कि 2024 का चुनाव उसकी यह मुराद पूरी करेगा या नहीं। यह 4 जून को परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।