Kamal Nath: इंदिरा के तीसरे बेटे इस दहलीज पर क्यों नाराज
Kamal Nath Political Journey: दून स्कूल से शुरू हुई गांधी परिवार से दोस्ती करीब 50 साल बाद टूटने के कगार पर है। यह कोई ऐसी-वैसी दोस्ती नहीं थी, क्योंकि दोस्त ऐसा था जिसने अपने दोस्त का जेल में साथ निभाने के लिए जेल जाना स्वीकार कर लिया। और मां इंदिरा गांधी ने दोस्ती की ऐसी मिसाल देख उस युवा को अपना तीसरा बेटा घोषित कर दिया। जी हां हम बात कर रहे हैं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ की, जो इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के जिगरी दोस्त थे। लेकिन अब उन्हीं कमलनाथ को लेकर अटकलों का बाजार गरम है। ऐसी चर्चा है कि कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। बाजार ऐसे ही गरम नहीं है, इसकी वजहें भी हैं, नकुलनाथ ने अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस नेता का परिचय हटा दिया है। वहीं कमलनाथ भी छिंदवाड़ा का कार्यक्रम रद्द कर बेटे के साथ दिल्ली पहुंच गए हैं। यहीं नहीं मीडिया के सवालों पर उन्होंने इन खबरों का खंडन नहीं किया है। उसके बाद ही अटकलों का बाजार गरम है…
दोस्त संजय गांधी के लिए जेल चले गए
देहरादून के दून स्कूल में संजय गांधी और कमलनाथ की दोस्ती परवान चढ़ी। और जब कमलनाथ कलकत्ता से बी.कॉम करने लगे तो भी दूरी के बावजूद दोनों में दूरिया नहीं हुईं। और संजय गांधी के कहने पर ही कमल नाथ ने 1968 में युवा कांग्रेस ज्वाइन किया। और यह दोस्ती ऐसी थी कि जब आपातकाल के बाज जनता पार्टी के शासन में संजय गांधी जेल गए तो दौरान इंदिरा गांधी अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर काफी परेशान थी। कहा जाता है कि तब कमलनाथ ने जानबूझकर तिहाड़ जेल जाने के लिए जज से लड़ाई की थी। जज ने अवमानना के आरोप में कमलनाथ को सात दिन की सजा सुना तिहाड़ जेल भेज दिया। और इस तरह कमल नाथ संजय गांधी के पास जेल में पहुंच गए। ऐसी दोस्ती देख इंदिरा गांधी भी कमलनाथ से प्रभावित हुई। यह भी कहा जाता है कि कमलनाथ इंदिरा गांधी को मां कहकर पुकारते थे।
कानपुर से छिंदवाड़ा कैसे पहुंचे
कानपुर के रहने वाले कमलनाथ के छिंदवाड़ा पहुंचने की कहानी भी दिलचस्प है। 13 दिसंबर 1979 को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में इंदिरा गांधी की चुनावी सभा थी। तब सभा में इंदिरा गांधी ने युवा कमल नाथ की ओर इशारा करते हुए कहा था कि ये सिर्फ कांग्रेस नेता नहीं हैं, राजीव और संजय के बाद ये मेरे तीसरे बेटे हैं । कमल नाथ ने साल 1980 में पहली बार छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव जीता था।
कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हुए नौ बार जीते हैं। इसके अलावा वह 2019 और 2023 में दो बार छिंदवाड़ा से विधायक का चुनाव भी जीत चुके हैं। मध्य प्रदेश के 18 वें मुख्यमंत्री बनने के साथ कमलनाथ यूपीए सरकार में भी कई अहम मंत्रालयों के मंत्री रह चुके हैं।
हमेशा से गांधी परिवार के करीबी
संजय गांधी और इंदिरा गांधी के निधन के बाद भी कमलनाथ गांधी परिवार के हमेशा करीबी रहे हैं। जब कांग्रेस की सत्ता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हाथों में आई, तब भी कमलनाथ गांधी परिवार के भरोसेमंद बने रहे। लेकिन लगता यह भरोसा अब डगमगा रहा है। हाल ही में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार के बाद से राहुल गांधी और कमलनाथ में दूरी बढ़ती गई है। जिस तरह उन्हें भरोसे में रखे बिना मध्य प्रदेश में जीतू पटवारी को कांग्रेस की कमान दी गई। उसके बाद ही कमलनाथ नाराज दिखाई दे रहे थे।
क्यों भाजपा से बढ़ रही है करीबी
हार के बाद कमलनाथ पर कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक शर्मा ने भाजपा से सांठगांठ का आरोप जड़ दिया। उसके बावजूद पार्टी ने उन्हें केवल शोकाज नोटिस देकर खानापूर्ति कर दी । इस बयानबाजी से कमलनाथ को बड़ा झटका लगा। इसके अलावा सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के भरोसे के बाद उन्हें राज्य सभा उम्मीदवार नहीं बनाए जाना भी कमलनाथ के लिए बड़ा झटका था। ऐसे कहा जा रहा है कि राहुल और प्रियंका गांधी ने उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर दिया।
सिख दंगा के छींटे
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित मामले में कांग्रेस नेता कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई के अनुरोध से जुड़ी याचिका पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए विशेष जांच दल को समय दे दिया और मामले की 23 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी।
इसी तरहभांजे रतुल पुरी पर 354 करोड़ के बैंक फ्रॉड का केस दर्ज है, जिसे लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी ED जांच कर रही है। हालांकि पहले भी सीबीआई इस मामले को लेकर जांच कर रही थी और बाद में ईडी ने केस दर्ज कर लिया। रतुल गिरफ्तार भी हुए थे। हालांकि अभी वे जमानत पर बाहर हैं। रतुल पर आरोप है कि वह जिस कंपनी मोजरवेयर के डॉयरेक्टर थे, उस कंपनी ने गलत डॉक्यूमेंट्स के आधार पर 354 करोड़ रुपए का लोन लिया था। इसके बाद रतुल पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चलने लगा। इस मामले में रतुल की मां नीता और पिता दीपक पुरी से भी ED पूछताछ कर रही है और उन्हें आरोपी बनाया है।
कांग्रेस की जेब पर होगा असर
अगर कमलनाथ भाजपा का दामन थामते हैं तो उसका राजनीतिक असर तो होगा साथ ही कांग्रेस पार्टी के लिए फंडिंग पर भी सीधा असर होगा। क्योंकि कमलनाथ पार्टी के लिए बड़े फंड जुटाने वाले रहे हैं और वह खुद भी बेहद अमीर हैं। हलफनासे अनुसार कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ के पास 750 करोड़ से ज्यादा की दौलत है। इसके अलावा कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के राजनीतिक भविष्य को भी सेट करना चाहते हैं। क्योंकि कांग्रेस में रहते हुए उन्हें ज्यादा बेहतर फ्यूचर का भरोसा नहीं हो रहा है।
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