‘पलटूबाबू’ के पलटवार से ‘INDI’ अलायंस का फूला दम, लोकसभा चुनाव से पहले BJP हुई मजबूत
Nitish Kumar Resignation: बिहार के राजनीतिक इतिहास में 28 जनवरी 2024 की तारीख एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के लिए फिर दर्ज हो गई। नीतीश कुमार ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। एक बार फिर वह सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद यह तीसरी बार होगा जब नीतीश सीएम पद की शपथ लेंगे। अपना पिछला इस्तीफा उन्होंने आठ अगस्त 2022 को दिया था। इस्तीफा देने के बाद नीतीश ने कहा था कि पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की इच्छा को देखते हुए वह एनडीए से अलग हुए। पार्टी एनडीए गठबंधन में नहीं रहना चाहती थी, इसका वह सम्मान कर रहे हैं। इसके बाद नीतीश ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं कांग्रेस के समर्थन से महागठबंधन की सरकार बनाई और फिर सीएम बने।
2022 में इस्तीफे के बाद ऐसा ही था नीतीश का बयान
इस बार 28 जनवरी को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार ने जो बयान दिया, वह उनके 2022 के बयान की याद दिलाता है। इस बार भी उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की इच्छा का हवाला दिया। नीतीश ने कहा कि पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ता महागठबंधन से अलग होना चाहते थे, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया। पिछले बार वह एक गठबंधन से अलग होकर महागठबंधन से जुड़े थे अब फिर नए गठबंधन की सरकार बनाने जा रहे हैं।
लालू-तेजस्वी पर हमला करने से बचे नीतीश
नीतीश ने अपने इस्तीफे की वजह का एक दूसरा कारण भी बताया। मौजूदा राजनीतिक संकट का ठीकरा उन्होंने कांग्रेस पर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि ‘INDI’ अलायंस को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस कुछ काम नहीं कर रही थी और स्थानीय स्तर पर उनकी पार्टी को राजद से थोड़ी दिक्कत थी। तेजस्वी या लालू यादव पर नीतीश हमलावर नहीं हुए और न ही उनका लिया। इसके पीछे नीतीश की मंशा यही है कि वह राजद के लिए किसी तरह की सहानुभूति का मौका नहीं देना चाहते।
केसी त्यागी ने बोला कांग्रेस पर तीखा हमला
नीतीश की इस बात को जद-यू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने ज्यादा स्पष्ट रूप से रखी। मीडिया से बातचीत में त्यागी ने मौजूदा हालात के लिए कांग्रेस को पूरी तरह से जिम्मेदार बताया। त्यागी ने कहा कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के हक को हड़पना चाहती है। वह चाहती है कि ‘INDI’ अलायंस के दल उसकी शर्तों पर कायम करें। राज्यों में एक-एक सीट जीतने वाली कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से ज्यादा सीटों की मांग कर रही है जो कि जायज नहीं है। त्यागी ने जोर देते और याद दिलाते हुए कहा कि नीतीश कुमार की पहल एवं सक्रियता की वजह से ‘इंडी’ गठबंधन बना। नीतीश ने गैर-कांग्रेसी दलों को इससे जोड़ा लेकिन अब इस गठबंधन को कांग्रेस हाईजैक करना चाहती है।
कांग्रेस हुक्म दे हमें स्वीकार्य नहीं-त्यागी
राहुल गांधी एवं कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का जिक्र करते हुए त्यागी ने कहा कि इस यात्रा के उद्देश्यों पर जद-यू को कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इसके जरिए कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को हुक्म दे रही है। वह बता रही की किस तारीख को विपक्ष का कौन सा नेता उसकी इस यात्रा से जुड़ेगा। यह बात हमें स्वीकार्य नहीं है। नीतीश कुमार ने पहले ही कह दिया था कि वह इस यात्रा में शामिल नहीं होंगे। त्यागी ने यह भी कहा कि कांग्रेस का जो रवैया है और करीब 50 साल का जो उनका राजनीतिक अनुभव है, उसे देखते हुए उन्हें लगता है कि ‘INDI’ गठबंधन में सीट बंटवारे पर टीएमसी और सपा के साथ कांग्रेस समझौता नहीं होगा। महाराष्ट्र में भी उन्हें संदेह है।
जयराम रमेश ने नीतीश को ‘गिरगिट’ बताया
नीतीश का साथ छोड़ने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उन्हें पहले से पता था कि वह ‘INDI’ अलायंस को छोड़ रहे हैं। लालू यादव और तेजस्वी यादव ने पहले ही हमें बता दिया था। खरगे ने नीतीश के लिए कोई तल्खी तो नहीं दिखाई लेकिन इतना जरूर कहा कि देश में ‘आया राम, गया राम’ जैसे कई लोग हो गए हैं। लेकिन काग्रेस के दूसरे बड़े नेता जयराम रमेश ने नीतीश पर कड़ा प्रहार किया। जयराम ने नीतीश कुमार की तुलना ‘गिरगिट’ से कर दी। उन्होंने कहा कि ‘बार-बार राजनीतिक साझेदार बदलने वाले नीतीश कुमार रंग बदलने में गिरगिटों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इस विश्वासघात के विशेषज्ञ और उन्हें इशारों पर नचाने वालों को बिहार की जनता माफ नहीं करेगी।’
बार-बार राजनीतिक साझेदार बदलने वाले नीतीश कुमार रंग बदलने में गिरगिटों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
इस विश्वासघात के विशेषज्ञ और उन्हें इशारों पर नचाने वालों को बिहार की जनता माफ़ नहीं करेगी।
बिलकुल साफ़ है की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से प्रधानमंत्री और भाजपा घबराए हुए हैं और उससे… https://t.co/v47tQ8ykaw
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 28, 2024
चुनाव से पहले बिहार में मजबूत हुई भाजपा
जाहिर है कि बिहार में बदला राजनीतिक समीकरण लोकसभा चुनाव के लिए काफी अहम होने जा रहा है। नीतीश के साथ आने से भाजपा बिहार में मजबूत होगी। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा-जेडीयू ने साथ मिलकर लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा ने 17, जद-यू ने 16 सीटें जीतीं। एनडीए के दूसरे दल लोजपा को छह सीटों पर जीत मिली। यानी एनडीए गठबंधन ने 40 में से 39 सीटें जीतीं। कांग्रेस एक सीट किशनगंज में विजयी हुई। भाजपा का इरादा इस बार सभी 40 सीटें जीतने का है। राज्य में 2025 में विधानसभा चुनाव होंगे। इस चुनाव में
‘INDI’ अलायंस की एकजुटता पर बढ़ा खतरा
नीतीश के बगैर इस लक्ष्य को हासिल करना उसके लिए असंभव सा था। दूसरा ‘INDI’ अलायंस को बहुत बड़ा झटका लगा है। ममता बनर्जी के बाद अब नीतीश का अलग होना, दूसरे घटक दलों यह सोचना पर मजबूर करेगा कि वह कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव में जाएं या नहीं। आने वाले दिनों में हो सकता है कि ‘INDI’ अलायंस में शामिल कुछ अन्य दल भी कांग्रेस से दूरी बना लें।
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