8 भारतीयों की रिहाई कूटनीति की बड़ी जीत, वो अर्थशास्त्र जिसने मोदी को किया मजबूत
भारत के लिए बेहद अच्छी और राहत भरी खबर है। कतर ने डेढ़ साल से कैद में रहे 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया है।ये कतर में जासूसी के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। पहले इन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस फैसले पर भारत सरकार कतर में गिरफ्तार किए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले 8 भारतीयों की रिहाई का स्वागत करती है। हम इनकी घर वापसी के लिए कतर के फैसले की सराहना करते हैं। कतर सरकार का यह फैसला भारत और कतर के बीच हुए 6 फरवरी को इस समझौते के बाद आया है। जिसके तहत भारत कतर से साल 2048 तक लिक्विफाइड नैचुरल गैस खरीदेगा। यह समझौता अगले 20 सालों के लिए हुआ है और इसकी कुल लागत 78 अरब डॉलर की है।
मोदी की मुलाकात के बाद टली थी मौत की सजा
नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को जासूसी के आरोप में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था और कतर की एक अदालत ने अक्टूबर 2023 में उन्हें मौत की सजा सुनायी थी।सभी भारतीय नागरिक दोहा स्थित दहारा ग्लोबल कंपनी के कर्मचारी थे। उनके खिलाफ आरोपों को कतर के अधिकारियों ने सार्वजनिक नहीं किया था।निजी कंपनी कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती है।भारत ने इस सजा के खिलाफ नवंबर में कतर की अपीलीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
इसके बाद दिसंबर 2023 को कतर की एक अदालत ने जासूसी के एक कथित मामले में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उनकी मौत की सजा को कम कर दिया था। उन्हें पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था। विदेश मंत्रालय ने उस वक्त एक बयान में कहा था, “हमने ‘दहारा ग्लोबल’ मामले में कतर की अपीलीय अदालत के आज के फैसले पर गौर किया, जिसमें सजा कम कर दी गई है। कतर की अपीलीय अदालत के इस फैसले को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना गया था। इसके पहले कुछ हफ्ते पहले दुबई में सीओपी28 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ मुलाकात की थी।एक दिसंबर को हुई मुलाकात के बाद, मोदी ने कहा था कि उन्होंने कतर में भारतीय समुदाय के कल्याण को लेकर चर्चा की।
कतर और भारत का अर्थशास्त्र
अब हम जिस समझौते की बात कर रहे हैं, उसके तहत भारत की सबसे बड़ी LNG आयात करने वाली कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (PLL) ने कतर की सरकारी कंपनी कतर एनर्जी के साथ ये समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत कतर हर साल भारत को 7.5 मिलियन टन गैस एक्सपोर्ट करेगा। इस गैस का इस्तेमाल बिजली, फर्टिलाइजर बनाने और इसे CNG में बदलने के लिए किया जाएगा ।
भारत को लगभग 80 फीसदी गैस की आपूर्ति अकेले कतर करता है। भारत से अनाज, आभूषण, धातु, सब्जियां, कपड़े, निर्माण सामग्री आदि रेगुलर कतर भेजी जाती हैं. कतर में लगभग एक चौथाई आबादी भारतीयों की है. ये सब यहाँ काम के सिलसिले में गए हैं। इस तरह भारत के नागरिकों का कतर की तरक्की में योगदान है। दोनों देशों के बीच व्यापार करीब 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा पहुंच गया है। कतर में करीब एक दर्जन भारतीय स्कूल हैं जो करीब 30 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स को सीबीएसई माध्यम से शिक्षा दे रहे हैं।
इसके अलावा कतर ने भारत में निवेश के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है । जो कतर इनवेस्टमेंट अथारिटी की निगरानी में काम कर रहा है। वह सड़क, हवाई अड्डे, पोर्ट समेत अन्य इंफ्रा में निवेश को उत्सुक है तो भारत भी कतर में उर्वरक, प्राकृतिक गैस, रासायनिक उद्योग आदि लगाने के प्रति गंभीर है।
हर साल कतर से भारतीय भेजते हैं 80 करोड़ डॉलर
भारत-कतर के राजनयिक रिश्ते करीब 50 साल पुराने हैं । भारत-कतर के राजनयिक रिश्ते साल 1973 में शुरू हुए, साल 2022 तक कतर में भारतीयों की आबादी करीब सात लाख तक पहुंच गई । भारतीय यहां पर मेडिकल, इंजीनियरिंग, एजुकेशन वित्त, बैंकिंग, बिजनेस और मीडिया के साथ-साथ ब्लू-कॉलर सहित कई तरह के प्रोफेशन और व्यवसायों में लगे हुए हैं। कतर में जन्में दूसरी या तीसरी पीढ़ी के भारतीयों की भी एक बड़ी आबादी है। भारत को लगभग 80 फीसदी गैस की आपूर्ति अकेले कतर करता है। भारत से अनाज, आभूषण, धातु, सब्जियां, कपड़े, निर्माण सामग्री आदि रेगुलर कतर भेजी जाती हैं। कतर में लगभग एक चौथाई आबादी भारतीयों की है। ये सब यहाँ काम के सिलसिले में गए हैं. इस तरह भारत के नागरिकों का कतर की तरक्की में योगदान है। ये भारतीय जब वहां से हर महीने अपनों को रकम भेजते हैं तब भारत की विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है. यह रकम लगभग 80 करोड़ डॉलर प्रतिवर्ष है।