हेमंत आउट और चंपई इन, जानें- क्यों कहलाते हैं ‘टाइगर ऑफ झारखंड’
Champai Soren New CM Of Jharkhand: झारखंड की सत्ता से अब हेमंत सोरेन आउट हो चुके हैं. भूमि घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय जब बार बार उन्हें समन भेज रहा था तो यह बात तय थी कि उनकी विदाई हो जाएगी. दो दिन पहले जब ईडी की टीम ने दिल्ली से लेकर रांची तक घेरेबंदी की तो संदेश साफ था कि अब बहुत हुआ. लेकिन सियासत में दांवपेंच का खेल साथ साथ चलता रहता है. हेमंत सोरेन ने भी सारे पैंतरे अपनाए. ईडी की टीम पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा जब दर्ज करा दिया तो इसके दो मतलब थे कि अब उनके पास किसी तरह का रक्षा कवच नहीं है. सीएम पद से इस्तीफा तो देना ही होगा और बुधवार शाम होते होते तस्वीर साफ हो गई कि अब कमान किसी और के हाथ. चेहरे को लेकर सस्पेंस बना हुआ था. लेकिन बुधवार की रात करीब 9 बजे तक वो चेहरा भी सामने आ गए जिसे लोग टाइगर ऑफ झारखंड कहते हैं यानी झारखंड की कमान अब चंपई सोरेन के हाथ होगी.
टाइगर ऑफ झारखंड
1956 में अविभाजित बिहार में इनका जन्म आदिवासी परिवार में हुआ था. परिवार की पृष्ठभूमि साधारण ही थी. खेती के काम में ये अपने पिता का हाथ बंटाया करते थे. हालांकि सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लेते थे. किसी से डरते नहीं थे. किसी भी मंच पर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते थे. लिहाजा लोग उन्हें टाइगर ऑफ टाइगर भी कहने लगे. सियासत से दूर दूर तक नाता नहीं था. लेकिन कहते हैं ना कि नसीब भी कुछ होती है. बिहार से अलग झारखंड राज्य की मुहिम जब शीबू सोरेन(हेमंत सोरेन के पिता) ने चलाई तो वो खुद को उस आंदोलन से दूर नहीं कर पाए. पढ़ाई भले ही 10वीं तक की हो. अलग अलग मंचों से वो अपनी बात इस अंदाज में रखते थे कि विरोधियों के पास भी कोई जवाब नहीं होता था.
शॉर्ट में चंपई सोरेन पर नजर
चंपई सोरेन के पिता और मां का नाम सेमल सोरेन और माधव सोरेन है.
तीन भाई और एक बहन में चंपई सबसे बड़े.
1956 में चंपई सोरेन का जन्म हुआ.
चंपई की अधिकतम शिक्षा मैट्रिक तक है.
चंपई सोरेन की शादी मानको सोरेन से हुई है.
चंपई को कुल चार बेटे और तीन बेटियां हैं.
सिर्फ एक बार चुनाव में मिली थी मात
अगर आप कहें कि आंदोलन के बाइप्रोडक्ट चंपई सोरेन रहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. 1991 में वो पहली बार विधायक बने और विधायक बनने का सिलसिला सिर्फ एक बार 2002 में टूटा जब वो बीजेपी कैंडिडेट से चुनाव हार गए थे. वो मौजूदा समय में हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री भी रहे. चंपई सोरेन का नाम भी संभावित सीएम की चर्चा में था. अब सवाल यह है कि चंपई को चुनने के पीछे वजह क्या थी. ऐसा माना जाता है कि हेमंत सोरेन के पिता शीबू सोरेन हर बड़े मुद्दे पर चंपई सोरेन से राय मशविरा करते थे. वहीं से उनके लिए हेमंत के मन में आदर भाव के साथ यह समझ विकसित हुई कि चंपई एक ऐसे शख्स हो सकते हैं जिनके नाम पर पार्टी के भीतर किसी तरह का विरोध नहीं होगा. सियासत में कहा भी जाता है कि यह संभावनाओं का खेल है. इसमें बदलाव कभी भी किसी समय हो सकता है. सत्ता के शीर्ष पर अननोन चेहरों को भी मौका मिल सकता है.
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