Loksabha Elections 2024: सियासी धमक है भोजपुरी के 4 धुरंधरों को एक साथ टिकट
Bhojpuri Stars In Indian Politics: भोजपुरी मतलब बिहारी, यूपी का भैया भोजपुरिया समाज मतलब पिछड़ा, गांव, देहात, मेहनत, मजदूरी और फूहड़ता इस समाज की यही तस्वीर पेश की जाती है.पूर्वांचल और बिहार से ताल्लुक रखने वाले हर इंसान को कभी न कभी किसी न किसी रूप से इस दंश से गुजरना पड़ा है. हालांकि यह समाज केवल उतना ही भर नहीं है जितना इसे दिखाया और बताया जाता है.भोजपुरिया समाज आर्थिक रूप से भले ही विकसित राज्यों की अभी बराबरी न करता हो लेकिन राजनीतिक रूप से यह हमेशा सजग रहा है .
सियासत में भोजपुरी सितारे
चम्पारण के किसानों के लिए गांधी जी की लड़ाई हो या जेपी आंदोलन नेतृत्व देने में इस समाज के लोग बाकियों से हमेशा आगे रहे हैं.लोकसभा चुनाव में भी यही बात सामने आई है.दिल्ली में भाजपा की पांच में से चार के टिकट भले कट गए लेकिन मनोज तिवारी का टिकट काटने का भाजपा को साहस नहीं हुआ। यही नहीं गोरखपुर से रवि किशन और आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ भी दोहरा दिए गए. सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि आसनसोल से पावर स्टार पवन सिंह को उम्मीदवार बना दिया गया। ये उसी भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के नामचीन और दिग्गज चेहरे हैं जिस इंडस्ट्री और उसके गानों के बारे में क्या-क्या नहीं कहा जाता.
चुनावी मैदान में पवन सिंह
चुनाव में किसी समाज का वोट बैंक कितना मायने रखता है.यह एक साथ भोजपुरी समाज के इन चार सुपरस्टार्स को मिले टिकट से समझा जा सकता है. ये सुपरस्टार हैं . सोशल मीडिया पर इनकी फैन फॉलोइंग लाखों की संख्या में है। इनके गाने चाहे भक्ति गीत हों लोकगीत हों या चलताऊ गानें. इन पर करोड़ों व्यूज आते हैं. पवन सिंह को टिकट मिलते ही टीएमसी के नेताओं ने हो-हल्ला मचाया. वह बहुत हद तक राजनीतिक है ऐसा नहीं है कि केवल पवन सिंह ने लहंगा चोली के गाने गाएं हैं.अश्लीलता की अपनी एक भाषा होती है जो हर समाज में अलग-अलग तरीके से है तो किसी एक भाषा पर इसे थोपना जायज कैसे ?
मनोज तिवारी, निरहुआ, रवि किशन को फिर मौका
मनोज तिवारी हों रविकिशन हों निरहुआ हों या पवन सिंह भोजपुरिया समाज में इनकी अपनी एक पहचान है जो इनके पेशे से जुड़ी है.ऐसा पेशा जिस पर पूरी तरह से बाजार का कब्जा है तो उनकी यह पहचान उनके पेशे का एक हिस्सा है.उनके पूरे व्यक्तित्व का नहीं. मनोज तिवारी ने एक से बढ़कर सामाजिक मुद्दों पर गाने गाए हैं.
निरहुआ की पहचान ही बिरहा है.रवि किशन पर यदि रिमोट वाला गाना है तो जइसन सोचले रहनी ओइसन धनिया मोर बाड़ी भी फिल्माया गया है तो बवाल करने वालों और भोजपुरी को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ने वालों को सेलेक्टिव न होकर थोड़ा रिसर्च करने की जरूरत है.समाज में पहचान केवल बुरे गानों से नहीं बनती. उसके लिए बहुत कुछ ऐसा करना पड़ता है जिसे समाज का एक बड़ा तबका स्वीकार करे और खुद को उससे जोड़े तभी आप लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों में जगह बनाते हैं तभी आप सुपरस्टार और पावर स्टार कहलाते हैं भाजपा इस बात को समझती है.
- Tags :
- Loksabha chunav 2024