चुनाव से पहले मोदी सरकार लाने जा रही है CAA-NRC के नियम, क्या फिर खड़ा होगा शाहीन बाग ?

 

CAA-NRC Rules:  साल 2019 था. इलाका दक्षिण पूर्वी दिल्ली का शाहीन बाग. हजारों की संख्या में लोग एक खास ऐक्ट का विरोध कर रहे थे. उस ऐक्ट का नाम था नागरिकता संशोधन विधेयक जिसे अंग्रेजी में सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट(CAA) कहा जाता है. इस एक्ट को जो लोग विरोध कर रहे थे उनका कहना था कि मोदी सरकार भारत से मुसलमानों को निकालने की तैयारी कर रही है.

1-2 दिन में आ सकते हैं CAA के नियम
अब एक बार फिर सीएए-एनआरसी चर्चा में है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह स्पष्ट कर चुके हैं कि आम चुनाव 2024 के तारीखों के ऐलान से पहले सीएए-एनआरसी के नियमों को लागू कर दिया जाएगा. इस तरह की जानकारी सामने आ रही है कि केंद्र सरकार एक या दो दिन में सीएए-एनआरसी को पूरे देश में लागू कर सकती है.  ऐसी सूरत में किसी तरह की असामान्य हालात के निर्माण ना हों इसके लिए खास इंतजाम किए जाने की जानकारी मिल रही है.

इंडिया अड्डा को मिली पुख्ता जानकारी
इंडिया अड्डा को मिली पुष्ट जानकारी के मुताबिक यूपी सरकार ने पुलिस प्रशासन को खास निर्देश दिए हैं. मसलन ऐसे लोगों पर निगाह रखने के लिए कहा गया है जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. साल 2019 में वो किसी ना किसी रूप में सीएए-एनआरसी के विरोध का हिस्सा बने थे. ऐसे लोग जिन्होंने अन्य संचार माध्यम के जरिए नफरत और भय का माहौल बनाया है.
यही नहीं इस तरह की भी जानकारी है कि सीएए- एनआरसी के विरोध करने वालों को ऐहतियात के तौर पर हिरासत में लिया जाए ताकि शांति और सौहार्द बना रहे. ताकि शाहीन बाग जैसी स्थिति ना बने.

2019 में  क्या हुआ था 
2019 में केंद्र सरकार ने कहा था कि दरअसल सीएए का विरोध वो लोग कर रहे हैं जिन्होंने मसौदा या तो ठीक से नहीं पढ़ा है या  बेवजह अल्पसंख्यक समाज को ना सिर्फ गुमराह बल्कि डर फैला रहे हैं. लेकिन सीएए के विरोध का असर यह हुआ कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, सीलमपुर में दंगा फैला. यही नहीं देश के अलग अलग राज्य भी सुलग उठे. हालांकि 2019 के अंत में कोविड की दस्तक के बाद विरोध शांत पड़ गया था.

अब आप को बताएंगे कि सीएए क्या है. इसके साथ यह भी बताएंगे कि सीएए से क्या भारतीय मुसलमानों को डरने की जरूरत है. क्या सीएए के जरिए कुछ लोग अपने स्वार्थ को अमलीजामा पहना रहे थे.

सीएए का इतिहास
सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल को 2016 में पहली बार नागरिकता अधिनियम 1955 को संशोधित कर पहली बार लोकसभा में पेश किया गया. इस बिल को संसद की संयुक्त समिति को सौंपा गया जिसने 7 जनवरी 2019 को अपनी रिपोर्ट पेश की. 8 जनवरी 2019 को लोकसभा ने नागरिकता संशोधन बिल को पारित कर दिया. लेकिन 16वीं लोकसभा के भंग होने के बाद यह बिल लैप्स हो गया. अप्रैल -मई में आम चुनाव हुए और एनडीए एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई. गृहमंत्री अमित शाह ने 17वीं लोकसभा में इस बिल को 9 दिसंबर 2019 को पेश किया जिसे लोकसभा मे 10 दिसंबर को पारित कर दिया. इस बिल को राज्यसभा ने अगले दिन यानी 11 दिसंबर 2019 को पारित कर दिया था.