‘आखिर बच्चों को कैसे दिलाएं परीक्षा, हुजूर सीसीएल तो ग्रांट कर दीजिए’
Child Care Leave News: गौतमबुद्ध नगर जिले के परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों को इन दिनों अजीब सी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वैसे शिक्षक जिन्होंने अपने बच्चों के बोर्ड एग्जाम के मद्देनजर चाइल्ड केयर लीव के लिए आवेदन किया था उसे खारिज कर दिया जा रहा है. अधिकारी हवाला देते हैं कि बोर्ड एग्जाम में शिक्षकों की कमी है लिहाजा उनके सामने कोई और विकल्प नहीं है. हालांकि शिक्षकों का कहना है कि अगर बच्चों के देखभाल के लिए ही सीसीएल की व्यवस्था है तो उसे देने में दिक्कत क्यों है. उनके बच्चों के भी भविष्य का सवाल है.
क्या कहना है अधिकारियों का
इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आखिर वो क्या करें. यह तो शासन का आदेश है और वो उस आदेश से बाध्य हैं. शासनादेश में मेडिकल लीव के संदर्भ में स्पष्टता के साथ जिक्र है कि छुट्टी के लिए क्या करना होगा. किस सक्षम अधिकारी के पास जाकर उसे प्रमाणित कराना होगा कि वो वास्तव में बीमार है और उसकी वजह से ड्यूटी कर पाने में असमर्थ है. लेकिन कहीं यह नहीं लिखा है कि ऐसे शिक्षक जिनके बच्चे बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल हो रहे हैं उन्हें चाइल्ड केयर लीव नहीं दी जाएगी.
शिक्षकों का पक्ष
मंडल अध्यक्ष मेरठ एवं जिला अध्यक्ष राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जनपद गौतम बुद्ध नगर, अशोक यादव का तर्क है कि पहले तो बोर्ड एग्जाम में माध्यमिक के शिक्षकों की ड्यूटी लगनी चाहिए. हालांकि यदि शिक्षकों की कमी हो तो बेसिक शिक्षकों की मदद ली जा सकती है. लेकिन ऐसे शिक्षक जिनके बच्चे खुद बोर्ड एग्जाम में शामिल हो रहे हैं. उनकी ड्यूटी लगाने का औचित्य क्या है. अच्छा होता कि विभाग स्कूलों के प्रधानचार्य से ऐसे शिक्षकों की सूची मंगा लेता ताकि उनको सीसीएल का लाभ मिल जाता.
क्यों सीसीएल की जा रही है खारिज?
ऐसी परिस्थति में उन शिक्षकों के सामने चुनौती उठ खड़ी हुई है जिनके बच्चे बोर्ड के एग्जाम में शामिल हो रहे हैं. लेकिन वे चाइल्ड केयर लीव के लिए अप्लाई नहीं कर सकते. या अगर उन्होंने अप्लाई किया भी है तो बोर्ड एग्जाम का हवाला देकर अर्जी रिजेक्ट कर दी गई है. शिक्षकों की मांग है कि मानवीय आधार पर सक्षम अधिकारी इस बारे में फैसला करें ताकि उन्हें दिक्कतों का सामना ना उठाना पड़े. बता दें कि परिषदीय स्कूल के शिक्षकों को बच्चे के 18 साल की उम्र के होने तक पूरी सर्विस अवधि में 2 साल की छुट्टी का प्रावधान है. बच्चों की देखभाल नें स्वास्थ्य संबंधी परेशानी और एग्जाम आदि का जिक्र है.