Bharat Ratna: मोदी जी भारत रत्न के ध्यानचंद भी हकदार, चुनावों से पहले इन्हें भी दे दीजिए

 

Bharat Ratna:  इस समय भारत रत्न की बारिश हो रही है। ऐसा पहली बार जब किसी साल 5 लोगों को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है। इन 5 लोगों में 4 नाम तो पूरी तरह से राजनीतिक हैं। चाहे कर्पूरी ठाकुर हो, पी.वी.नरसिम्हा राव, लाल कृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह सभी राजनीतिक पुरोधा रहे हैं। वहीं एक पांचवा नाम एमएस स्वामीनाथन का है। जो गैर राजनीतिक चयन है। ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि एक शख्स जिसको भारत रत्न देने की मांग करीब 15 साल से चल रही है और उन्हें 2013 में भारत रत्न देने की फाइल पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) तक पहुंच गई थी। उन्हें भारत रत्न देने में देरी क्यों रही है। जबकि वह शख्स भारत रत्न पाने का उतना ही अधिकारी है, जितना कोई और। जी हां हम बात कर रहे हैं हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की। मेजर ध्यानचंद को साल 2013 में करीब-करीब भारत रत्न देने का फैसला हो गया था, लेकिन अंतिम क्षणों में वह फैसला पलट गया। और उसके बाद क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया गया।

पीएम मोदी से क्यों उम्मीद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से सत्ता संभाली है, वह लीक से हटकर काम करते रहे हैं। पद्म पुरस्कारों को जिस तरह उन्होंने आम लोगों का पुरस्कार बनाया उसकी सराहना सभी करते हैं। इसी तरह भारत रत्न में भी मोदी सरकार दलगत राजनीति से हटकर लोगों के चयन का दावा करती है। इसके पहले वह पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे प्रणब मुखर्जी को भी भारत रत्न दे चुकी है। इसके अलावा मदन मोहन मालवीय, नाना जी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेयी, डॉ भूपेंद्र हजारिका को भी मोदी सरकार ने भारत रत्न दिया है।

भारत रत्न को लेकर क्या है नियम

भारत रत्न देने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 18(1) में है। 1954 में भारत रत्न पुरस्कार की स्थापना हुई और नियमों के मुताबिक़ एक साल में तीन ही पुरस्कार दिए जा सकते हैं । लेकिन मोदी सरकार ने इस बार देश की पांच हस्तियों को भारत रत्न देने का एलान किया है। इससे पहले सिर्फ एक बार 1999 में चार लोगों को ये सम्मान दिया गया था। शुरू में खेल से जुड़े व्यक्ति के लोगों को भारत रत्न दिए जाने का प्रावधान किया है। सररकार ने भारत रत्न सम्मान के नियमों में बदलाव करते हुए उल्लेखनीय कार्य करने वाले सभी भारतीयों को अवार्ड के योग्य माना जिसमें खेलकूद भी शामिल हो गया। 22 दिसंबर 2011 को इंडियन हॉकी फेडरेशन ने ध्यानचंद को भारत रत्न दिए जाने की सिफारिश की। उसके पहले तक भारत रत्न साहित्य, कला, विज्ञान और जनसेवा के क्षेत्र में दिया जाता था।

ध्यानचंद पूरी तरह से हकदार, पर वोट बैंक तो है नहीं

ध्यानचंद भले ही 44 साल पहले गुजर चुके है लेकिन उनकी उपलब्धियां सनातन की तरह जिंदा हैं। वे भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी के पर्याय हैं। हर साल उनके जन्मदिवस (29 अगस्त) को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता ह। इस दिन खिलाड़ियों को खेल पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। उनके नाम पर खेल में आजीवन उपलब्धि के लिए खेल मंत्रालय द्वारा मेजर ध्यानचंद पुरस्कार दिया जाता है।  89 सांसद उनको भारत रत्न पुरस्कार देने के लिए पूर्व में पत्र भी लिख चुके हैं। यही नहीं ध्यानचंद के लिए यूपीए-2 के दौरान खेल मंत्रालय ने भारत रत्न दिए जाने की सिफारिश की थी। इसके अलावा साल 2017 में भारत सरकार के खेल मंत्री रहे चुके विजय गोयल ने भी मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग की थी। तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद ने भारत का गौरव उस वक्त बढ़ाया जब भारत गुलाम था। यही नहीं उन्होंने हिटलर के ऑफर को ठुकराते हुए दो टूक, कहा- हिंदुस्तान में खुश हूं।

लेकिन जिस तरह से अभी तक ध्यानचंद को भारत रत्न देने में देरी हुई है, उससे एक पात्रता की कमी खलती है, वह यह है कि क्या ध्यानचंद को भारत रत्न देने से वोट मिलेगा …..