क्यों सवालों के घेरे में आए एवरेस्ट-MDH के मसाले? जांच में पाक-साफ होकर नहीं निकले तो उठाना होगा नुकसान
MDH and Everest spices : यह भारतीय मसालों की खूश्बू ही थी जिसकी महक के दिवाने होकर फिरंगी सात समंदर पार से भारत आ गए और मसालों का कारोबार शुरू किया। मसालों की गुणवत्ता, तासीर, खूश्ब के लिए दुनिया भर में भारत की अपनी एक अलग पहचान और नाम है। भारत को मसाला किंग कहा जाता है। यह भारत ही है जो दुनिया में सबसे ज्यादा मसालों का निर्यात करता है।
भारतीय मसालों की जांच हो रही
लेकिन भारतीय मसालों के लिए हाल के दिनों में कई देशों से बुरी खबरें आई हैं। इससे भारतीय मसालों की पहचान खतरे में पड़ गई है और इसकी साख को बड़ा धक्का लगा है। खासकर, सिंगापुर और हांगकांग में भारत की दो प्रतिष्ठित मसाला कंपनियों- MDH और एवरेस्ट के कुछ प्रोडक्ट्स पर कथित तौर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तो अमेरिका सहित कम से कम पांच देश भारतीय मसालों की जांच कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
पिछले दिनों हांग कांग की सरकार के सेंटर फॉर फूड सेफ्टी यानी (CFS) ने यह कहते हुए एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों की बिक्री पर रोक लगा दी कि इनमें हानिकारक कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया गया। इस केमिकल से कैंसर जैसे खतरे की बात भी कही गई। खाद्य उत्पादों में एथिलीन एक्साइड का इस्तेमाल भारत में भी बैन है। इसलिए यह संकट और भी ज्यादा है। सवाल है कि अगर यह वर्जित है तो यह भारतीय मसालों तक कैसे पहुंच गया?
मसाले भारतीय खान-पान में इतने रचे बसे हैं कि इनके बगैर भारतीय व्यंजनों की कल्पना नहीं कही जा सकती। घर में बनने वाला खाना हो, स्ट्रीट फूड हो, ढाबा हो, रेस्तरां हो या फाइव स्टार होटल भारतीय मसाले हर जगह अपनी खुश्बू बिखरते और खाने को लजीज और दिलकश बनाते हैं। ज्यादातर घरों और बाहर ये नामी ब्रांड्स वाले मसाले ही इस्तेमाल होते आ रहे हैं। कई पीढ़ियां इन ब्राडों पर भरोसा करते हुए इनका इस्तेमाल करती आई हैं। गाजियाबाद की ईना गुप्ता कहती हैं कि इन मसालों का इस्तेमाल उनकी मां भी करती रही हैं।
लोग अपनी सेहत को लेकर गंभीर
खान-पान के बदले माहौल में लोग अपनी सेहत को लेकर गंभीर हैं। नोएडा की अलका खंडेलवाल मसालों पर आई इस खबर को लेकर परेशान दिखीं। उन्होंने कहा कि वह वर्षों से इन मसालों का इस्तेमाल करती आ रही हैं लेकिन यह खबर डराने वाली है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह खड़े मसालों को मिक्सी में पीसकर तैयार करती हैं।
सवालों के घेरे में FSSAI
सवालों के घेरे में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता मापने वाली सरकारी एजेंसी FSSAI है जिन एजेंसियों एवं संस्थाओं पर गुणवत्ता परखने की जिम्मेदारी आखिर वे कर क्या रहे हैं? सबसे बड़ा सवाल है कि विदेश भेजे जाने वाले नामी ब्रांड्स के इन उत्पादों में ही खामी है तो छोटे स्तर की मसाला कंपनियां गुणवत्ता का कितना ख्याल रख रही होंगी?
फूड रेगुलेटर से डिटेल मांगी
मसालों के इन ब्रांड्स पर सवाल उठने के बाद भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने सिंगापुर और हांगकांग के फूड रेगुलेटर से डिटेल मांगी है। सरकार ने बैन के बाद फूड कमिश्नर्स को आदेश दिया कि MDH और एवरेस्ट समेत सभी मसाला कंपनियों के प्रोडक्ट्स का सैंपल कलेक्ट करने और उनकी जांच करने के लिए कहा है। हालांकि MDH और एवरेस्ट ने दावा किया है कि उनके किसी भी प्रोडक्ट्स में कोई भी हानिकारक तत्व नहीं है।
सैकड़ों देश भारत से मंगाते हैं मसाले
यह तब है जब स्वस्थ रहने के लिए बैक टू बेसिक्स की तरफ लौटने पर और बाहर का खाना कम खाने पर जोर दिया जा रहा। ऐसे में भारतीय मसाले भी गुणवत्ता के मानक पर यदि खरे नहीं उतरेंगे तो मसालों के लिए दुनिया भर में जो नाम कमाया है उसकी छवि और साख पर बट्टा तो लगेगा ही मसाला कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा क्योंकि चीन, अमेरिका, बांग्लादेश, यूएई, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रिटेन, श्रीलंका, सऊदी अरब हर साल हजारों करोड़ रुपए के भारतीय मसाले खरीदते हैं।
70 करोड़ डॉलर के मसाला निर्यात कारोबार पर खतरा
आर्थिक थिंक-टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि कई देशों में रेगुलेटरी एक्शन के कारण भारत के लगभग 70 करोड़ डॉलर के मसाला निर्यात कारोबार पर खतरा मंडरा रहा है। साथ ही उसने आगाह किया कि अगर यूरोपीय यूनियन भी भारतीय मसालों पर एक्शन लेता है तो इससे भारत के मसाला निर्यात पर 2.5 बिलियन डॉलर का असर पड़ सकता है। ऐसे भारत के नाम और दाम दोनों को बचाने की जरूरत है।