Arun Govil: ‘अभिनेता से नेता बनना आसान नहीं’ टीवी के ‘राम’ के बारे में यह है मेरठ की राय
Loksabha Election 2024 Meerut Constituency: क्रांति की धरा मेरठ में इस समय चुनावी मजाज इतिहास और वर्तमान के बीच मिल कर चलने की कोशिश करता दिख रहा है। हो भी क्यों न , एक तरफ टीवी के राम यहां चुनावी मैदान में हैं। तो दूसरी तरफ मान्यताओं के अनुसार मेरठ रावण की ससुराल भी है। ऐसे में पिछले 3 चुनावों से लगातार भाजपा को जीत दिला रही मेरठ की जनता, अपने नए उम्मीदवार अरूण गोविल को लेकर क्या सोचती है और क्या इस बार मेरठ की जनता कोई नया फैसला लेने के मूड में है, इसे जानने के लिए इंडिया अड्डा की टीम मेरठ पहुंची।
जब कार्यकर्ता करते रहे इंतजार
बीजेपी जैसे संगठन का साथ होने से अरूण गोविल के लिए चुनावी दांव-पेंच में एक्सपर्ट हुए बिना भी यह राजनीतिक युद्ध लड़ना आसान दिखता है। लेकिन इंडिया अड्डा की टीम ने पार्टी कार्यालय पर जो देखा उससे यह तो साफ है कि अभिनेता से नेता बने अरूण गोविल को नेता बनने में अभी टाइम लगेगा। मसलन पार्टी कार्यालय पर शाम को एक मीटिंग होनी थी और कार्यकर्ता उनका घंटों से इंतजार कर रहे थे लेकिन नेता बने अरूण गोविल रात में आ नहीं पाए। पार्टी के स्थानीय नेता और उनके चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाल रहे कार्यकर्ता भी ऑफ द कैमरा यह स्वीकार कर रहे हैं कि प्रत्याशी को अभी राजनीति के हिसाब से ढलने में टाइम लगेगा। लेकिन वे यह भी कहते हैं कि टीवी के राम और कार्यकर्ताओं का हौसला मिलकर आसानी से जीत हासिल दिला देगी।
क्या सोचती है पब्लिक
ये तो हुआ पार्टी का मिजाज लेकिन जब इंडिया अड्डा की टीम जनता का मिजाज जानने पहुंची तो यह साफ नजर आया कि यहां भी मोदी मैजिक है। और अरूण गोविल से ज्यादा लोग नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम और काम पर वोट देंगे।
चुनावी मिजाज जानने में हमें ऐसे लोग भी मिले जो समाजवादी पार्टी या दूसरे विपक्षी दल को वोट देने की बात कर रहे हैं। और वे लोग मोदी सरकार से नाखुश भी नजर आए, लेकिन वह कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचते रहे। ऐसे में हमारे सामने उनकी बात आप तक पहुंचाने का केवल यही माध्यम रहा। इस पड़ताल में हमें कुछ युवा भी मिले जिन्होंने चुनाव पर खुल कर अपनी बात कही..
‘सपा में भ्रम’
जहां तक विपक्ष की बात है तो यहां पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव कंफ्यूज नजर आते हैं। पहले उन्होंने भानु प्रताप को मैदान में उतारा, उसके बाद अतुल प्रधान को टिकट दिया और फिर बदलकर पूर्व विधायक योगेश वर्मा का पत्नी और पूर्व महापौर सुनीता वर्मा को टिकट दिया। इसी तरह बसपा ने उम्मीदों के विपरीत हिंदू वोटों में सेंध लगाने के लिए देवव्रत त्यागी को मैदान में उतारा है। ऐसे में लड़ाई रोचक है। लेकिन भाजपा को इस बार पश्चिमी यूपी में जाट बिरादरी में मजबूत राष्ट्रीय लोक दल का साथ है।
2019 में बीजेपी को मिली थी जीत
मेरठ लोक सभा सीट में मेरठ और हापुड़ का क्षेत्र आता है। यहां पर करीब 65 फीसदी हिंदू आबादी है और 34 फीसदी मुस्लिम आबादी है। लेकिन जिस तरह 2019 में भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल और सपा-बसपा गठबंधन हाजी याकूब कुरैशी के बीच कांटे की टक्कर हुई थी और भाजपा केवल 5000 वोटों से जीत पाई थी। उसे देखते हुए भाजपा को मोदी-योगी के साथ-साथ टीवी के राम के करिश्मे की बड़ी आस है। साथ उसे यह भी भरोसा है कि अरूण गोविल पश्चिमी यूपी में कैराना सहित कई सीटों में उसे बड़ी जीत दिलाने में मदद करेंगे। ऐसे में 26 अप्रैल को वोटिंग के समय भाजपा के साथ अरूण गोविल की प्रतिष्ठा दांव पर होगी।
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