ओम प्रकाश राजभर का ‘राज पाट’ संग्राम, आखिर क्या है उनकी ताकत

 

Om Prakash Rajbhar News:  यूपी में राजभर समाज की आबादी 12 फीसद है. पूर्वांचल की करीब 24 लोकसभा सीटों पर इस समाज को वोटर्स की संख्या 50 हजार से लेकर 2.5 लाख तक है. घोसी,बलिया, चंदौली, सलेमपुर, गाजीपुर, देवरिया, आजमगढ़ अंबेडकर नगर, लालगंज, जौनपुर, मछलीशहर, वाराणसी, भदोही और मिर्जापुर में इस समाज के मतदाताओं की जीत और हार में बड़ी भूमिका होती है. यही तो सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की ताकत है. 62 साल के ओम प्रकाश राजभर की सियासत पर टीका टिप्पणी के अनेकों उदाहरण आप पेश कर सकते हैं. राजभर पर तरह तरह के आरोप भी लगते हैं जैसे बिन पानी मछली नहीं रह सकती. ठीक वैसे ही राजभर सत्ता के बगैर नहीं रह सकते. हालांकि वो कहते हैं कि उन्हें अपने समाज के हित की चिंता अधिक है लिहाज उनके फैसलों पर जिसे जो कहना है वो आजाद है.

बसपा से सुभासपा तक

बसपा के संस्थापक कांशीराम की नीतियों से प्रभावित होकर ओम प्रकाश राजभर ने राजनीति सफर का आगाज किया. हालांकि बहन जी यानी मायावती से मनमुटाव की वजह से रास्ता अलग चुना और 2002 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन किया. राजभर कहते हैं कि जिस मकसद यानी दलित, शोषित, वंचितों की लड़ाई के लिए वो बीएसपी का हिस्सा बने थे वो दल जब अपने मूल विचारधारा से भटक गई तो उनके पास पार्टी गठन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा. राजभर खुद के बारे में सत्तालोलुप कहे जाने पर कहते हैं कि भारतीय राजनीति में आखिर कौन साल दल या शख्सियत नहीं है जो सत्ता की मलाई नहीं खाना चाहता है. जब वो अपने समाज के हित के लिए सत्ता में भागीदारी की बात करते हैं तो आखिर गलत क्या करते हैं. इस विचारधारा को आगे रखते हुए 2017 में वो योगी सरकार में हिस्सा बने. हालांकि सफर लंबा नहीं रहा. 2019 में योगी सरकार और एनडीए से अलग हो गए. 2017 से 2019 तक जिस एनडीए गठबंधन को वो अपने समाज के तारणहार समझते थे.अब वही गठबंधन सबसे बड़ा दुश्मन नजर आने लगा था.

योगी कैबिनेट में हो सकते हैं शामिल

इन सबके बीच साल 2022 आया. यह वो वर्ष था जब यूपी में विधानसभा के चुनाव होने वाले थे. राजभर को एक सशक्त गठबंधन की तलाश थी जो समाजवादी पार्टी पर जाकर ठहरती थी. समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. यह बात अलग है कि सपा सरकार बनाने से एक बार फिर चूक गई. हार का ठीकरा फोड़ते हुए ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव के बारे में कहा कि एसी कमरों से बैठकर सियासत नहीं की जाती है. यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण था. राजनीतिक पंडित कयास लगाने लगे कि राजभर का मन डोल रहा है. ओम प्रकाश राजभर लगातार समाजवादी पार्टी की घेरेबंदी करते रहे और मौका नजर आते ही पाला फिर बदला. अब इस बात के संकेत हैं कि वो योगी मंत्रिमंडल का हिस्सा बन सकते हैं.