विपक्ष के चारों खाने हुए चित, PM मोदी ने बता दिया कैसा होगा विपक्ष का भविष्य
Narendra Modi Parliament speech : चुनावी साल हो और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देने का मौका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इससे शानदार अवसर क्या हो सकता है। इस मौके का उन्होंने भरपूर और जमकर फायदा उठाया। विपक्ष और कांग्रेस पर इतने तीखे हमले किए कि वह पूरी तरह से धाराशाई नजर आया। नेहरू, इंदिरा से लेकर परिवारवाद और विपक्ष की राजनीति पर उन्होंने सलीके से जिस तरह से चुन-चुनकर हमले किए उसे देख विपक्ष मन ही मन यही सोचता होगा कि काश इससे बच गए होते।
तीसरे कार्यकाल का जयघोष
चर्चा का जवाब देते हुए पीएम पूरी तरह से अपनी रौ और तंज वाली अंदाज में थे। उन्होंने ललकारा भी, विपक्ष को आईना भी दिखाया। दुनिया में भारत की बढ़ी छवि का ढिंढोरा पीटा, तो अपने तीसरे कार्यकाल का जयघोष भी किया। उनके भाषण के दौरान विपक्ष की भृकुटी तनी हुई और माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आईं। प्रधानमंत्री ने एक युगद्रष्टा की तरह भरे-पूरे विश्वास के साथ लोकसभा चुनाव का नतीजा भी घोषित कर दिया। भाजपा 370 और एनडीए के लिए 400 प्लस की भविष्यवाणी कर दी। आत्मविश्वास से लबरेज पीएम मोदी का यह अनुमान अतिरेक नहीं बल्कि जनमानस की नब्ज की पड़ताल लगी।
पीएम मोदी के नजर में क्या है परिवारवाद
परिवारवाद की राजनीति पर उन्होंने अपनी राय स्पष्ट रूप से जाहिर की। उन्होंने साफ कहा कि एक परिवार से एक-चार नहीं दस लोग भी राजनीति में आएं। इससे किसी को परहेज नहीं है। जनता-जनार्दन ईश्वर का रूप होती है। वह चुनकर किसी को भी भेज सकती है लेकिन दिक्कत इस बात की है कि आज की पार्टियों पर परिवार का नियंत्रण है जिस पर उन्हें आपत्ति है। परिवार ही तय करता है कि पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा और टिकट किसे मिलेगा। पीएम ने इसका उदाहरण भी दिया। भारतीयों के सामर्थ्य एवं शक्ति पर भरोसा न करने वाले कांग्रेस एवं विपक्ष की संस्कृति पर हमलावर होते हुए पूर्व पीएम नेहरू एवं इंदिरा गांधी के लाल किले की प्राचीर से हुए संबोधनों का हवाला दिया और इसे आज की विपक्ष एवं कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति से जोड़ा।
दर्शकदीर्घा में बैठेगा विपक्ष?
एक स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका क्या और कैसी होनी चाहिए इस पर भी उन्होंने विपक्ष से सवाल किए। वह विपक्ष से निराश दिखे। उनका उलाहना था कि विपक्ष अपनी भूमिका निभा पाने में असमर्थ साबित हुआ है। सरकार को नीतिगत सवालों पर घेरने एवं बैकफुट पर लाने का उसके पास साहस नहीं है। उसका यह रवैया दशकों तक उसे सत्ता से दूर रखने वाला है। यहां तक कि वह दर्शक दीर्घा में भी जा सकता है। सरकार की प्रत्येक उपलब्धियों को खारिज करते रहने की उसकी आदत उसे अप्रासंगिक बनाती जा रही है।
पीएम के भाषण में सीख
कुल मिलाकर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष के लिए जो बातें कहीं, वह पूरी तरह से राजनीतिक और चुनावी नहीं था। उसमें एक सीख एवं सार्थक उपदेश था। देश को आगे ले जाने का संकल्प और दूरदर्शी विचार था। देश में राजनीति के लिए नवाचार और नवोन्मेष था। 2047 के विकसित भारत की एक स्पष्ट रूपरेखा और स्पष्ट विचार था।