रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट का IED कनेक्शन, आखिर यह कितना होता है खतरनाक?

 

Rameshwaram cafe blast: दिन शुक्रवार, तारीख 1 मार्च 2024, जगह बेंगलुरु के पॉश इलाके ब्रुकफील्ड का रामेश्वरम कैफे. धमाके की वजह से कैफे में धुआं भर जाता है, अफरातफरी और चीख पुकार मचती है. धुआं छंटने के बाद पता चलता है कि 9 लोग घायल हो चुके हैं. कर्नाटक सरकार के मुताबिक घायलों की स्थिति गंभीर नहीं है. लेकिन सवाल कई हैं. पहले यह कहा गया कि धमाके की वजह गैस थी. हालांकि अब सीएम सिद्धारमैया कह रहे हैं बम धमाका था. ऐसा कहा जा रहा है कि इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस का इस्तेमाल किया गया है. दरअसल सीसीटीवी में जो फुटेज कैद हैं उसके मुताबिक एक शख्स कैफे के कैशियर वाले काउंटर पर पहुंचता है और अपना बैग रखता है. बैग के रखते ही धमाका हो जाता है. इन सबके बीच हम यहां बताएंगे कि किस बला का नाम आईईडी है.

क्या होता है आईईडी बम
मूल तौर पर IED घरेलू बम होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की एक फैक्टशीट के मुताबिक क्योंकि वे तुरंत बनाए जाते हैं. इसके कई रूप हैं, मसलन एक छोटे पाइप बम से लेकर एक रिफाइंड उपकरण तक जो बहुत बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने में सक्षम होते हैं. आईईडी को किसी वाहन का उपयोग करके तैनात किया जा सकता है या इसे कोई भी शख्स ले जाया जा सकता है. इसे फेंका जा सकता है या सड़क के किनारे छुपाया जा सकता है।

प्रत्येक IED में कुछ बुनियादी कंपोनेंट या घटकहोते हैं जो बम बनाने वाले के पास उपलब्ध संसाधनों के निर्भर करते हैं. इनमें एक इनिशिएटर या ट्रिगर मेकेनिज्म होता है जो जो विस्फोट को बंद कर देता है. एक स्विच, एक मुख्य चार्ज, एक इलेक्ट्रॉनिक पावर स्रोत और एक कंटेनर की जरूरत होती है.

इराक वार से कनेक्शन

इनका उपयोग एक सदी से भी अधिक समय से किया जा रहा है. आईईडी शब्द पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका के इराक आक्रमण (2003 में शुरू) के दौरान आम उपयोग में आया था. इराक में ऐसे बमों का इस्तेमाल आमतौर पर अमेरिकी सेनाओं के खिलाफ किया जाता था।