Womens Day: महिला दिवस, आजादी के इजहार का दिन, बेड़ियों को उतार फेंकने का समय
International Womens Day: आज से 115 साल पहले यानी 1908 में महिलाओं के हक और अधिकार के लिए न्यूयॉर्क में निकाली गई एक परेड आगे चलकर महिलाओं की पहचान, उनके गौरव, स्वभिमान और ताकत से जुड़ जाएगी। यह बात शायद किसी को पता नहीं होगी। उस समय की एक्टिविस्ट एवं सोशलिस्ट क्लारा जेटकिन के दिमाग में महिला दिवस मनाने का ख्याल आया था। 1910 में कोपेनहेगन में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया। उनका यह सुझाव उस सम्मेलन में 17 देशों से आईं 100 महिलाओं को क्रांतिकारी लगा। फिर क्या था, अगले साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
1975 में मिली औपचारिक मान्यता
महिलाओं के हक के लिए क्लारा ने जो अलख जगाई उसे आगे भी सरकारों और महिलाओं का साथ मिलता रहा। समाज की तरक्की और खुद महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति आई जागरूकता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने भी साल 1975 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता दे दी।
एक तबका महिलाओं की तरक्की से ईर्ष्या करता है
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक हर क्षेत्र में महिलाओं की ताकत का जश्न मनाने का दिन बन चुका है। इस दिन महिलाएं अपनी आजादी का खुले तौर पर इजहार करती हैं। यह दिन उन लोगों के लिए एक खास संदेश है जो आज भी महिलाओं को दकियानूसी या रूढ़िवादी चश्मे से देखते हैं। समाज में आज भी ऐसे लोग हैं जो महिलाओं को आगे बढ़ते और पुरुषों की बराबरी करते या उससे आगे निकलता देख उनमें जलन और ईर्ष्या होती है।
महिला शक्ति के साथ खड़े हों
इसका इलाज यही है कि वह खुद बदले हुए जमाने के हिसाब से खुद को अपडेट करें और अपना सॉफ्टवेयर बदलें नहीं तो वे खुद आउटडेटेड हो जाएंगे। सदियों से अलग-अलग वजहों से दबाई गईं महिलाओं को आज भी उनका पूरा हक नहीं मिला है। महिलाओं ने आज खुद को साबित कर दिया है उन्हें अब किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है। इसलिए हम सभी का यह नैतिक एवं सामाजिक दायित्व है कि उनके हक में जो कोर-कसर अभी भी बाकी रह गई है। उसे हम सब मिलकर पूरा करें और उनके साथ खड़े हों।