Budget 2024: PM किसान पर मायूसी, डेयरी-मछ्ली पालन के लिए नई योजना, लेकिन कई योजनाओं पर चली कैंची

 

Budget 2024:  सभी किसानों को उम्मीद थी कि इस बार अंतरिम बजट में पीएम किसान सम्मान निधि योजना का राशि में बढ़ोतरी होगी। लेकिन 6000 की राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। उलटे सरकार ने किसानों की चलाई जा रही कई स्कीम के बजट में कटौती कर दी है। इसके तहत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना , मार्केट इंटरवेंशन स्कीम एंड प्राइस सपोर्ट स्कीम से लेकर एफपीओ गठन के चलाई जा रही योजनाएं शामिल हैं। इसी तरह कृषि मंत्रालय के बजट को देखा जाय तो उसमें ना के बराबर बढ़ोतरी की गई है। जो कि पिछले साल के 1.25 लाख करोड़ के मुकाबले इस बार 1.27 लाख करोड़ रखा गया है। वहीं वित्त मंत्री ने खाद्य और उर्वरक सब्सिडी को करीब 8 फीसदी कम रखने का अनुमान जताया है। किसानों के लिए बजट में नई पहल को देखा जाय तो वित्त मंत्री ने नई डेयरी स्कीम, तिलहन में आत्मनिर्भर बनने के लिए नई रणनीति, मछली पालन के एक्वॉ पार्क और नैनो यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ाने जैसे पहल का ऐलान किया है।

इन योजनाओं के बजट पर चली कैंची

मनरेगा को लेकर यूपीए सरकार की आलोचना करने वाली मोदी सरकार ने इस बार मनरेगा के लिए बजट में अच्छी खासी बढ़ोतरी की है। इसके तहत 2024-25 के लिए इस बजट 86,000 करोड़ रुपये कर दिया है। बीते वित्त वर्ष में मनरेगा का बजट 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। हालांकि अगर संशोधित अनुमान से देखा जाय तो बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। क्योंकि 2023-24 में मनरेगा पर 86000 करोड़ खर्च होने का अनुमान है।

इसी तरह वित्त मंत्री ने पीएम किसान के लिए बजट आवंटन को 2023-24 के बराबर 60000 करोड़ ही रखा है। यानी 6000 रुपये की रकम में आने वाले दिनों में कोई बढ़ोतरी नहीं होने वाली है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बजट में कटौती हुई है। योजना के लिए 14,600 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है जो वर्ष 2023-24 में 15,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से कम है।

अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए आवंटन घट गया है। 2024-25 के अंतरिम बजट में इस योजना के लिए आवंटन 12,000 करोड़ रुपये है जबकि पिछली बार यह 19,000 करोड़ रुपये था।

एफपीओ, पीएम किसान मानधन योजना, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के बजट में कटौती की गई है।

ऐसे ही ग्रामीण विकास मंत्रालय के बजट में संशोधित अनुमान से केवल 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल के 1.71 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से इस बार बजट आवंटन 1.77 लाख करोड़ कर दिया गया है।

मार्केट इंटरवेंशन स्कीम एंड प्राइस सपोर्ट स्कीम के लिए बजट आवंटित नहीं किया गया है। राज्यों में दालों के वितरण के लिए सरकार ने पिछले बजट में 800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। लेकिन इस बार इस योजना को भी बजट नहीं मिला है। मूल्य स्थिरता कोष के लिए भी आवंटन नहीं हुआ है। यानी सरकार इन योजनाओं को अब बंद करना चाहती है। इसी तरह प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन का बजट 459 करोड़ रुपये से घटकर 366 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

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सब्सिडी पर खर्च होगा कम

वित्त वर्ष 2024-25 में खाद्य और उर्वरक पर कुल सब्सिडी 3.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो चालू वित्त वर्ष की तुलना में करीब आठ प्रतिशत कम है।अगले वित्त वर्ष में खाद्य सब्सिडी के लिए 2,05,250 करोड़ रुपये की राशि तय की गई है। यह 31 मार्च, 2024 को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष के 2,12,322 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से कम है। वर्ष 2022-23 में खाद्य सब्सिडी बिल 2.72 लाख करोड़ रुपये रहा था।इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। जबकि चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान 1.89 लाख करोड़ रुपये है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 2.51 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी दी थी।