गेहूं पर मांग से ज्यादा कीमत तो 4 फसलों पर MSP से ज्यादा रेट, फिर पंजाब-हरियाणा के किसान क्यों नाराज

 

MSP Issue And Farmers Stir:एक बार फिर किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सरकार द्वारा पांच साल तक दाल, मक्का और कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करने के केंद्र के प्रस्ताव को सोमवार को खारिज कर दिया और कहा कि यह किसानों के हित में नहीं है। इस बीच एक अहम आंकड़ा यह सामने आया है कि गेहूं पर किसानों को उनकी मांग के अनुसार कम से कम पंजाब-मध्य प्रदेश ऐसे राज्य हैं जहां पर उनकों C-2 + 50 फीसदी के रेट से ज्यादा दाम मिल रहा है। वहीं मसूर, उड़द , अरहर, मक्का पर तो एमएसपी से ज्यादा रेट मिल रहा है। फिर वह एमएसपी की गारंटी क्यों चाहते हैं। और उससे भी अहम बात है कि 13 फरवरी से दिल्ली कूच कर रहे पंजाब-हरियाणा के किसानों के साथ दूसरे राज्यों के किसान अभी तक सड़क पर क्यों नहीं उतरे हैं..

पंजाब-मध्य प्रदेश के किसान को ज्यादा रेट

इस समय सरकार ने गेहूं के लिए एमएसपी 2,275 रुपये है प्रति क्विंटल तय कर रखी है। जो रबी सीजन 2024-25 के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित C-2 + 50 फीसदी से अधिक है। किसान इसी फॉर्मूले के आधार पर एमएसपी तय करना चाहते हैं। एमएसपी की सिफारिश करने वाले कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) A2+FL फॉर्मूले के आधार पर एमएसपी की सिफारिश करता है, और सरकार उसी के आधार पर एमएसपी की घोषणा करती है। यहां A2 में केवल किसानों द्वारा की गई भुगतान लागत शामिल है। A2+FL “भुगतान की गई लागत और पारिवारिक श्रम का मूल्य” के बराबर होता और यह C2 की तुलना में कम है। लेकिन अगर किसानों की मांग C2 के आधार पर देखा जाय तो..

पंजाब के लिए गेहूं के उत्पादन की C-2 लागत 1,503 रुपये प्रति क्विंटल आंकी गई है। इस लागत के मुकाबले, किसानों को 2,275 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी मिल रहा है। यानी 51.36 प्रतिशत का रिटर्न मिल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आंदोलन करने वाले ज्यादातर पंजाब के किसान हैं, और उन्हें पहले से ही रेट मिल रहा है तो वह आंदोलन क्यों कर रहे हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश के किसानों को भी किसानों की मांग के अनुसार रेट मिल रहा है। जबकि जिन राज्यों के किसानों को C-2 + 50 फीसदी की तुलना में 10-15 फीसदी रेट कम मिल रहा है, वह आंदोलन क्यों नहीं कर रहे हैं।

इसी तरह इन फसलों पर एमएसपी से कहीं ज्यादा मिल रहा है दाम

अब जानिए किसानों का क्या कहना है

किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र का प्रस्ताव किसानों के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि अगर सरकार सभी 22 फसलों पर एमएसपी की गारंटी देगी तो किसान केवल गेंहू-धान की फसल क्यों उगाएंगे, वह सभी फसलों की खेती करेंगे। ऐसे में फसलों का विविधिकऱण होगा। सरकार का यह तर्क कही से सही नही है कि एमएसपी की गारंटी देने से सरकार पर बोझ पढ़ेगा। क्योंकि गारंटी मिलने का मतलब केवल सरकार का खरीदना नहीं है, इससे बिचौलिये की मनमानी खत्म होगी। इसके अलावा किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने , 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।