Holi Special: नकली खोवा पर सवाल, सबसे बड़ी मंडी में मचा बवाल, ऐसे पहचाने असली-नकली
Holi Special:होली का मौका है और घरों में गुजिया बनाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। लेकिन हर घर में यह भी सवाल उठता है कि जो मावा या खोवा इस्तेमाल किया जा रहा है, वह कहीं नकली तो नहीं है। बस इसी सवाल को समझने के लिए इंडिया अड्डा की टीम सुबह-सुबह एशिया की सबसे बड़ी खोवा मंडी यानी दिल्ली के मोरी गेट खोवा मंडी पहुंच गई। और वहां पहुंचने पर जब हमने खोवा कारोबारियों से नकली खोवा की सप्लाई पर सवाल पूछा तो वह बिफर गए।
60-65 हजार किलो मावा की सप्लाई
कारोबारी का यह गुस्सा कई सारे सवाल उठाता है, मसलन देश में पैसे वालों और गरीब के बीच जो खाई है, उससे हर तरह के कस्टमर मौजूद हैं। और उनकी जरूरतों के आधार पर बाजार में 200 रुपये से 400 रुपये किलो तक खोवा मिल रहा है। यानी कम रेट में लेना है तो समझौता तो करना पड़ेगा। मंडी में रोज सुबह यूपी,मध्य प्रदेश, हरियाणा और और दूसरे करीबी इलाकों से दूध कारोबारी, सैकड़ों किलो खोवा लेकर ट्रकों, पिक अप के जरिए पहुंचते हैं। उनका कहना है कि रेट अच्छा मिलने और डिमांड की वजह से वह दूर-दूर से यहां आते हैं।
लेकिन सवाल यही है कि जिस मंडी में रोजाना 60 हजार से 65 हजार किलो खोवा पहुंचकर बिक रहा है, वहां शुद्धता की गारंटी कैसे तय होती है और उसे चेक करने का तरीका क्या है। तो इस समझने के लिए हमने मावा व्यापार मंडी के अध्यक्ष राकेश सिंह तोमर से बातचीत की । तोमर ने हमें बताया कि विभिन्न शहरों से आने वाले खोवे की शुद्धता की पहचान कैसे की जाती है और फिर कैसे उन्हें कारोबारियों को बेचा जाता है।
जागरूकता जरूरी
खोवा कारोबारी इमरान के तरीके को जानने के बाद इंडिया अड्डा की टीम ने खुद उन्हीं तरीकों से शुद्धता की पड़ताल की ।इस पूरी पड़ताल से साफ है कि एशिया की सबसे बड़ी मंडी में किसान और खोवा कारोबारी सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांवों से खोवा लेकर पहुंचते हैं और यहां पर मौजूद आड़ती उन्हें खरीदते हैं। जिसके बाद इसी मंडी से दिल्ली,एनसीआर में मिठाई की दुकानों से लेकर आम लोगों तक खोवा और उससे बनी मिठाइयां पहुंचती है। और बीच-बीच में खोवा की शुद्धता को लेकर सरकार के तरफ से जांच-पड़ताल होती रहती है। डिमांड-सप्लाई और मुनाफे के इस खेल में सबसे ज्याद सतर्क कस्टमर को ही होना है। और उसका केवल एक ही तरीका है और वह है जागरूकता