4 इंच के बाजार ने मचाई ताबाही! ऑनलाइन खरीदारी से खुदरा कारोबारियों को हो रहा भारी नुकसान
Retail Sector : बाजार, मतलब दुकानें, खरीदार, ग्राहक, मोलभाव, सामानों की आजमाइश और एक 4 इंच वाला ऑन लाइन बाजार जहां डिस्काउंट, सहूलियत और आकर्षक ऑफर हैं। बाजार हमारे करीब भी है और एकदम पास भी। तकनीकी ने हमें एक वर्चुअल बाजार दिया है। यह हकीकत है कि इस बाजार ने खरीदारी को बेहद आसान बना दिया है आपको जो चाहिए वह आपके दरवाजे पर आ जाता है, बिल्कुल साफ-सुथरा और पैक्ड।
लेकिन इस 4 इंच वाले बाजार का एक दूसरा पहलू भी है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। ऑन लाइन बाजार दोधारी तलवार की तरह काम कर रहा है। एक तरफ यह ग्राहक को चूना लगा रहा है तो दूसरी तरफ घरेलू खुदरा व्यापार और छोटे-मझोले कारोबारियों को निगलता जा रहा है। डिस्कांउट, ऑफर्स और सुविधा के लिए लोग इस ऑन लाइन बाजार के कुचक्र में फंसते जा रहे हैं। इन्हें शायद नहीं पता कि ऑन लाइन बाजार किस तरह से उनके साथ छल और हमारे उस घरेलू बाजार को तबाह कर रहा है जिनकी बनाई कागज की पुड़ियों और थैलों से हमारा घर बचपन से रौनक होता रहा है।
ऑन लाइन कंपनियां गुमराह करती हैं
ऑन लाइन बाजार से मचने वाली इस तबाही का पड़ताल करने इंडिया अड्डा की टीम दिल्ली के पांडव नगर इलाके में पहुंची जहां खुदरा व्यापारियों ने ऑन लाइन मार्केटिंग के बढ़ते खतरों और चुनौतियों के बारे में बताया। यहां इलेक्ट्रानिक सामान बेचने वाले भूपिंदर सिंह ने बताया कि कैसे ऑन लाइन कारोबार करने वाली कंपनियां ग्राहकों को गुमराह कर रही हैं। डिस्काउंट की आड़ में ग्राहकों को आधी-अधूरी जानकारी दी जा रही है। भूपिंदर बताते हैं कि ऑन लाइन खरीदारी की वजह से ग्रोथ रुक गई है। वारंटी के नाम पर भी खरीदारों को ठगा जा रहा है।
कॉस्मेटिक के करीब 95 फीसदी नकली
यहीं कॉस्मेटिक की दुकान चलाने वाले तरुण सोलंकी ने गजब का दावा किया। तरुण ने बताया कि ऑन लाइन बिकने वाले कॉस्मेटिक के सामान करीब 95 फीसदी नकली होते हैं। यह सुनकर हम भी दंग रह गए। हमने सवाल किया कि इससे ग्राहक बचें कैसे तो इसका भी जवाब उन्होंने दिया। तरुण ने यह भी बताया कि किस तरह के कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स पर छूट मिलता है।
कमाई का मार्जिन कम हुआ
ऑन लाइन मार्केट से कोई भी खुदरा बाजार बचा नहीं है। इलेक्ट्रानिक, कपड़ा, कॉस्मेटिक हर जगह यह वर्चुअल बाजार लोगों को लुभा रहा है। पांडव नगर में ही करीब 35 साल से प्रोविजनल स्टोर चलाने वाले प्रवीण गोयल कहते हैं कि कमाई का मार्जिन कम हो गया है। ऑन लाइन कंपनियां कमाई तो कर रही हैं लेकिन ये सरकार को उतना टैक्स नहीं दे रही हैं जितना कि रीटेल कारोबारी दे रहे हैं। इन पर भी उन्हीं के जैसा टैक्स लगना चाहिए। इनका आरोप है कि ये कंपनियां नकली और एक्सपायरी माल ग्राहकों को बेच रही हैं।
लोग दाम पूछकर चले जाते हैं
यहां रेडीमेड कपड़े की दुकान पर काम करने वाले रोहित कश्यप का कहना है कि ऑन लाइन मार्केट का उनके कारोबार पर काफी बुरा असर पड़ा है। लोग कपड़े खरीदने आते हैं और पूछकर चले जाते हैं। उनका भरोसा ऑन लाइन खरीदारी पर है। इससे सेल में 15-20 प्रतिशत गिरावट की वजह से दुकान पर लड़के भी कम हो गए हैं। इलेक्ट्रानिक की दुकान चलाने वाले ऋषभ जो कि युवा हैं। हमने उनकी भी राय जानी। ऋषभ का अपना नजरिया था। उन्होंने बताया कंपनियों को अपना ऑन लाइन और ऑफ लाइन दोनों प्रोडक्ट अलग-अलग बनाने चाहिए। उन्होंने बताया कि ऑफ लाइन समानों की खरीदारी पर मिलने वाली वारंटी अधिक होती है।
ऑन लाइन बाजार ने लोगों को सहुलियतें दी हैं
प्रोविजन स्टोर चलाने वाले महेंद्र नाथ शर्मा अपने इस पेशे से 40 साल से जुड़े हैं। इन्होंने बताया कि ऑन लाइन बाजार की वजह से इनका करीब 50 फीसदी कारोबार प्रभावित हुआ है। कम्पटीशन बढ़ गया है। बाजार की रेस में रहने के लिए इन्हें लोन लेकर कारोबार बढ़ाना पड़ा है। पहले दुकान अच्छी चला करती थी लेकिन अब बाजार में बने रहना एक चुनौती है। जाहिर है कि ऑन लाइन बाजार और मार्केटिंग ने लोगों को सहुलियतें दी हैं लेकिन देश के खुदरा कारोबार एवं व्यापार पर इसका बुरा असर पड़ा है। खुदरा कारोबार केवल एक व्यापार और मुनाफा नहीं बल्कि उसमें इंसानियत और मानवीयता का पुट भी है जो मुश्किल हालात में हमेशा से देश और लोगों के साथ खड़ा होता आया है। इसलिए इस रिटेल कारोबार के साथ नाइंसाफी के खुलाफ आवाज बुलंद करने की जरूरत है।