राम राज में कैसे लगता था टैक्स, जानें उस दौर का अर्थशास्त्र और क्या वित्त मंत्री पेश करेंगी मिसाल
आज राम राज की चर्चा करने का अवसर है। राम राज की परिकल्पना महात्मा गांधी से लेकर संविधान तक में हैं। और राम राज कैसा था इसका उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास ने भी किया है। उन्होंने उस दौर के टैक्स सिस्टम से लेकर वहां की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का भी उल्लेख किया है। गोस्वामी तुलसीदास की चौपाइयों के आधार पर आज हम आपको बता रहे हैं कि राम राज की इकोनॉमी कैसी थी…
कैसी थी लोगों की लाइफस्टाइल
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती
तुलसीदास की इस चौपाई का अब अर्थ समझिए
रामराज में किसी को दैहिक, दैविक और भौतिक तकलीफ नहीं थी।सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते थे और अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं। यानी राम राज ऐसा था कि किसी को शारीरिक रूप से कष्ट नहीं था। इसकी तरह राम राज में किसी तरह की प्राकृतिक आपदाएं नहीं आती है। यानी प्राकृतिक आपदाएं नहीं आती थी। इसी तरह भौतिक तकलीफ नहीं थी। यानी राम राज में हर नागरिक साधन संपन्न था। तुलसीदास की इस चौपाई का सीधा मतलब है कि लोग दैहिक, दैविक और भौतिक तकलीफ नहीं थी। इसके अलावा सब लोग एक दूसरे से प्रेम करते थे और धर्म का पालन करते थे।
अब एक और चौपाई को पढ़िए
बरसत हरषत लोग सब करषत लखै न कोई
तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होइ।
इस चौपाई के जरिए तुलसीदास जी ने बताया है कि राम राज में राजा को किस प्रकार जनता से कर संग्रह करना चाहिए । तुलसीदास ने टैक्स कलेक्शन को लेकर सूर्य का उदाहरण दिया है। उनके अनुसार सूर्य जिस प्रकार पृथ्वी से अनजाने में ही जल खींच लेता है और किसी को पता नहीं चलता और उसी जल को बादल के रूप में इकट्ठा कर वर्षा में बरसते देखकर सभी लोग आनंदित हो जाते हैं। इसी तरह टैक्स कलेक्शन करके राजा को जनता को हित में काम करना चाहिए।
वित्त मंत्री इस बजट में क्या करेगी
राम मंदिर का उद्घाटन ऐसे समय हो रहा है जब उसके कुछ दिनों बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारण अंतरिम बजट पेश करने जा रही है। ऐसे में इस बात की उम्मीदें बढ़ गई है कि वह रामराज की तरह लोगों की जेब का ध्यान रखेंगी। हालांकि अंतरिम बजट की वजह से उनके पास बहुत कुछ करने की उम्मीद नहीं हैं लेकिन उनसे आगे का खाका पेश करने की पूरी संभावना है। अब देखते हैं कि वह क्या इतिहास में नया अध्याय रचेंगी।