एक्शन, डिस्को, मेलोड्रामा और 80 का दशक, जब इंद्रधनुषी रंगत में आईं हिंदी फिल्में
Bollywood Films: 1980 का दशक! बड़े-बड़े बदलावों और घटनाओं का साक्षी। जिनमें से एक है कलर टीवी और सोप ओपेरा का भारत में आगमन। एक ऐसी घटना जो आनेवाले समय में मनोरंजन उद्योग में खासकर बॉलीवुड में आमूल चूल परिवर्तन लाने वाली थी। भारतीय दर्शक जो अब तक मनोरंजन के लिए सिनेमा घरों पर निर्भर थे अब घर बैठे टीवी पर सीरियल देख सकते थे। फिल्मी सितारों के इंटरव्यू और साप्ताहिक तौर पर फिल्मे भी देख सकते थे। वर्तमान पीढ़ी, जो अपनी हथेली में रखी मोबाइल फ़ोन से देश क्या विदेश तक के सितारों से सोशल मिडिया के माध्यम से सीधे रूबरू हो सकती है, ओटीटी के माध्यम से जब चाहे तब कोई भी मूवी देख सकती है, उसके लिए इसकी कल्पना तक करनी मुश्किल है कि किसी जमाने में मोहल्ले में सिर्फ एक टीवी हुआ करता था और रविवार के दिन फिल्म देखना कोई पारिवारिक इवेंट नहीं बल्कि सामजिक इवेंट होता था। धीरे -धीरे बदलते सामाजिक आर्थिक परिदृश्य ने टीवी को घर घर पंहुचा दिया और इस तरह मनोरंजन के लिए मध्य वर्ग को एक और जरिया मिला। इसका सीधा असर बॉलीवुड पर पड़ा।
कमाई के हिसाब से बुरा दौर
फिल्म उद्योग के लिए व्यापार और कमाई के हिसाब से यह सबसे बुरा दौर माना जा सकता है। बड़े-बड़े निर्माता निर्देशकों की फिल्में फ्लॉप हो रही थीं और रही सही कसर पाइरेसी और वीसीआर संस्कृति ने पूरी कर दी थी। लेकिन मजेदार बात ये है कि सबसे ज्यादा फिल्में भी इसी दशक में ही रिलीज हुईं थीं। देखा जाए तो उस दशक में स्थिति इतनी भी खराब नहीं थी जितनी की कही जाती है। आज फिल्म निर्माण के हर क्षेत्र में बॉलीवुड जिस मुकाम पर पंहुचा है, उसके बीज इसी दशक में पड़े। यह ऐसा दौर था जब निकाह, अवतार, हिम्मतवाला जैसी शुद्ध बॉलीवुड मार्का मसाला फिल्म अगर धमाल मचा रही थी तो दूसरी तरफ अर्धसत्य, आक्रोश, स्पर्श, कथा, जाने भी दो यारो जैसी कल्ट क्लासिक भी बन रही थी, रिलीज हो रही थीं, और हिट भी हो रही थी।
कुली, शहंशाह जैसी फिल्मे करते थे अमिताभ
हमारे सदाबहार अमिताभ बच्चन ‘एंग्री यंग मैन’ के अपने अवतार में कुली, और शहंशाह जैसी फिल्मों में अपने जलवे बिखेर ही रहे थे। धर्मेंद्र भी गुलामी जैस हिट फिल्मों से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब थे। जंपिंग जैक जीतेन्द्र भी हिम्मतवाला, मकसद, मवाली, तोहफा जैसी एक से एक हिट फिल्में दिए जा रहे थे। हम डिस्को डांसर मिथुन दा को कैसे भूल सकते हैं। उनकी अपनी एक अलग ही फैन फॉलोइंग रही। पूरे भारत में जो फिल्म फ्लॉप होती थी वह भी उनके दम पर पश्चिम बंगाल में हिट हो जाया करती थी। इनके साथ ही ओम पूरी और नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेता समानांतर और बॉलीवुड मसाला फिल्मों, दोनों में संतुलन बिठाये हुए थे और एक से एक उत्कृष्ट फिल्म निर्देशकों के साथ काम कर रहे थे।
कुछ ने फिल्मी दुनिया से नाता तोड़ लिया
इन सबके बीच इस दशक में कुछ नए सितारे भी आये जिनमे से कुछ आज तक चमक रहे हैं और कुछ धूमकेतु की भांति गायब हो गए। कुमार गौरव संजय दत्त, सनी देओल, कुणाल गोस्वामी जैसे दूसरी पीढ़ी के बेटों ने इस दशक में अपना फिल्मी करियर शुरू किया जिनमे कुछ आज भी सक्रिय हैं और कुछ ने अपना नाता फिल्मी दुनिया से तोड़ लिया। हालांकि इन सबकी पहली फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी। इस दशक में बॉलीवुड मसाला फिल्मों में दक्षिण भारत की अभिनेत्रियों का बोलबाला रहा। रेखा, श्रीदेवी, जयाप्रदा लम्बे समय तक दर्शकों के दिलों पर राज करती रहीं। उन्होंने फिल्मों में मजबूत किरदार निभाए और आत्मविश्वास दिखाया और यह एक अच्छा बदलाव था।
द्विअर्थी बोल वाले गीतों की संख्या बढ़ गई
स्मिता पाटिल, शबाना आज़मी, दीप्ती नवल, सरीखीं अभिनेत्रियां समानांतर सिनेमा में महिला केंद्रित मजबूत किरदार निभा रही थीं। इस दशक की सबसे खास बात ये रही कि बड़े निर्माता निर्देशक व्यावसायिक तौर पर भले ही उतने सफल ना रहे हों, बी और सी ग्रेड की बॉलीवुड फिल्में अच्छा बिजनेस कर रही थीं। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो संगीत की स्थिति उतनी अच्छी नहीं रह गई थी। द्विअर्थी बोल वाले गीतों की संख्या बढ़ गई थी। हालांकि उत्सव, इंतजार, मासूम, उमराव जान, निकाह, जैसे फिल्मों के गाने बहुत अच्छे रहे। इस दशक का अंत आते-आते बॉलीवुड नई करवट लेने लगा था और लव स्टोरी हो या एक्शन पैक मूवी, संगीत हो या छायांकन सबकी एक नई परिभाषा गढ़ी जाने लगी थी। एक तरफ कयामत से कयामत तक और मैंने प्यार किया तो दूसरी तरफ परिंदा जैसी फिल्में आईं और नब्बे के दशक के लव स्टोरी और गैंगस्टर सिनेमा की आधारशिला रखी।
ऐसे में पीछे मुड़कर देखें तो बॉलीवुड में 1980 का दशक एक ऐसा समय था जब चीजें बदल रही थीं, नए सितारे और अलग-अलग तरह की कहानियां परदे पर नमूदार हो रही थीं। यह एक्शन, डिस्को और मैलोड्रामैटिक, समानांतर फिल्मों का एक अजीब सा मेल था जिसने उस दशक के बॉलीवुड को बहुत ही अलग चरित्र दिया।