कंटेंट की रिलेटेबिलटी, हुक एलिमेंट ने दिलाई इन्फ्लुएंसर्स को कामयाबी, शॉर्ट्स-रील्स पर इसलिए मिलते हैं करोड़ों व्यूज 

 

Instagram Content Relatability And Hook Element : एंटरटेनमेंट में यह दौर शार्ट और रील्स का है। इस दौर में एक बहुत बड़ी आबादी ना फिल्में देखती है और ना ही टीवी। वो अगर देखती है तो सिर्फ यूट्यूब और इंस्टाग्राम। वहां भी उसके पास इतना वक्त नहीं कि वो बीस तीस मिनट तो क्या दस मिनट का भी वीडियो देख ले। यह आबादी देखती है बस रील्स और शॉर्ट्स जो सेकेंड्स और एकाध मिनट में ही अच्छा खासा एंटेरटेनिंग कंटेंट परोस देते हैं। ऐसे में इन्फ्लुएंसर्स की एक ऐसी जमात पैदा हो गई है जो धड़ाधड़ रोजमर्रा की घटनाओं, स्कूल-कॉलेज रोमांस, रिश्तेदारों के व्यवहार से लेकर पड़ोसी आंटी तक पर रील और शॉर्ट्स बनाती है और लाखों करोड़ों लाइक्स और व्यूज बटोर ले जाती है।

मजाक उड़ाते हुए रील्स बनाते हैं

यहां तक कि क्षेत्रीय भाषाओं में भी ऐसे कंटेंट क्रिएटर्स की बाढ़ आई हुई है जो रील्स बनाकर अच्छी खासी सेलिब्रिटी का दर्जा पा चुके हैं। कुछ ऐसे भी इन्फ्लुएंसर हैं जिनके कंटेंट का आधार किसी और का कंटेंट होता है। मसलन इन्हें किसी यूट्यूब चैनल का कंटेंट अगर अजीब और मजेदार लगा तो उनका मजाक उड़ाते हुए ये रील्स बनाते हैं। हालांकि, किसी का भी मजाक उड़ाना किस हद तक सही है ये एक बहस का विषय है लेकिन ऐसा करके कुछ इन्फ्लुएंसर्स अपने फॉलोअर बनाने में सफल तो हो ही जाते हैं।

कटेंट के साथ एक्सपेरिमेंट करते हैं

किसी भी तरह का इन्फ्लुएंसर हो इतना तो तय है कि इन्हे ये सफलता यूं ही नहीं मिल जाती। इसके लिए ये भी उतनी ही मेहनत और अपने कटेंट के साथ एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं जितना कि कोई भी पेशेवर कलाकार करता है। इनकी सफलता का राज छुपा है इनके कंटेंट के रिलेटेबल होने में और उसके सहज प्रेजेंटेशन में। इसके साथ ही सबसे बड़ी बात जो इन्हे लोकप्रिय बनाती है वो है इनका अलग अंदाज और अपने लिए एक खास दर्शक वर्ग तैयार करना।

हरेक इन्फ्लुएंसर्स का एक खास सिग्नेचर थीम

हरेक इन्फ्लुएंसर्स का एक खास सिग्नेचर थीम होना तय है। उनके सारे कंटेंट उसी थीम के इर्द-गिर्द बने होते हैं। जैसे किसी ने अपने बिहारी होने को ही अपन सिग्नेचर बना डाला है। उनके सारे कंटेंट उसी के इर्द-गिर्द रचे होते हैं। इसी तरह कोई ऐसा क्रिएटर है जिसका थीम एक पियक्कड़ है। वो जितनी भी कहानिया रचेगा उसके केंद्र में  पियक्कड़ ही होगा। ऐसे कंटेंट युवाओं को बहुत भाते हैं और वे खुद को उससे जुड़ा हुआ पाते हैं। उन्हें लगता है अरे ये तो वही हैं। कुछ इन्फ्लुएंसर्स के सारे रील्स  रिश्तों पर केंद्रित होते हैं। और ये भी युवाओं को बहुत भाते हैं।

सामाजिक रूढ़ियों को मजबूत करते हैं कुछ रील्स

जाहिर है रिलेटेबिलिटी लोकप्रिय होने की पहली शर्त है। दूसरा अपने अनुभवों से ये इन्फ्लुएंसर्स इतने स्मार्ट तो हो ही गए हैं कि अपने टारगेट ऑडियंस को ध्यान में रखते हुए ये अपने रील्स में हुक एलिमेंट जरूर डालते हैं जिससे की अपने दर्शकों को बांधे रखने में सक्षम हो पाएं। हालांकि लोकप्रिय होने और इन्फ्लुएंसर्स बनने की इस होड़ में बहुत सा कंटेंट ऐसा भी बन रहा है जो सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ने और उनमें बदलाव लाने की बजाय उन्हें और भी मजबूत करने की दिशा में ले जा रहा है।

बॉडी शेमिंग और नारी विरोधी कंटेंट भी

जिन कुप्रथाओं और रूढ़ियों से छुटकारा पाने के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी गई है वो ही सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के जरिये वापस हमारे घरों में अपने पैर फिर से पसारने लगी है। मसलन बॉडी शेमिंग और नारी विरोधी कंटेंट परोसने वाले बहुत से इन्फ्लुएंसर्स हैं जिनकी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है। तो सोचने वाली बात है कि इंस्टेंट और शार्ट एंटरटेनमेंट की आड़ में हम अनजाने ही कुछ ऐसी बुराइयों को तो अपने जीवन में शामिल नहीं कर रहे जिसके दूरगामी परिणाम हमारी आनेवाली पीढ़ी को भुगतनी पड़े?