चकाचौंध का काला सच, क्या इस वजह से फिल्मी सितारे हो रहे हैं हॉर्ट अटैक के शिकार

 

Rituraj Singh Story:  कुछ दिनों पहले इकबाल फेम सैंतालीस वर्षीय कलाकार श्रेयस तलपड़े हार्ट अटैक की चपेट में आ गए थे और मानो उन्हें दूसरा जीवन मिला। मशहूर हास्य अभिनेता सुनील ग्रोवर भी पैंतालीस की उम्र में ही चार-चार बाईपास सर्जरी करा चुके हैं और माशाअल्लाह एक स्वस्थ जीवन गुजार रहे हैं। लेकिन सिद्धार्थ शुक्ल, गायक केके और निर्माता निर्देशक राज कौशल, और ऋतुराज सिंह जैसे बहुत से ऐसे पेशेवर हैं जिनका सम्बन्ध किसी ना किसी रूप में फ़िल्मी दुनिया से रहा और वे अचानक ही हार्ट अटैक के शिकार हो गए। डॉक्टर्स की मानें तो ये कोरोना के आफ्टर इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। ये कोरोना का आफ्टर इफ़ेक्ट तो है ही इसके साथ ही इसका एक कारण फिल्म उद्योग से सम्बंधित लोगों की जीवन शैली भी हो सकती है।

काम का दबाव

मुंबई फिल्म उद्योग की खासियत है कि एक तरफ अगर इसमें कॉर्पोरेट कम्पनियां हैं तो दूसरी तरफ इसका बहुत बड़ा हिस्सा फ्रीलांसिंग, और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करता है। कलाकार यदि काम ना मिलने के खौफ में रहता है तो कर्मचारी और फ्रीलांसर आमदनी का जरिया खतम होने या किसी और के द्वारा हथिया लिए जाने के डर से परेशान रहते हैं। गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जिस तनाव और चिंता, और अन्य मानसिक परेशानिया ये लोग झेलते हैं, उसका असर हृदय पर तो पड़ना ही है। दूसरे जिस तरह बीस-बीस घंटे लगातार ये लोग काम करते हैं उसका भी नकारात्मक असर इनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

जीवनशैली का असर

विभिन्न टीवी चैनलों पर दैनिक धारावाहिकों के कारण लंबे समय तक काम करना पड़ता है, जिसमें कलाकार और सारे कर्मचारी कई दिनों तक बिना ब्रेक के काम करतेरहते हैं। इसके चलते सेट पर कलाकरों का बेहोश होना आम हो चुका है। ना ही इनकी नींद पूरी होती है, ना ही ठीक से खाना-पीना। ऐसे में जान पर तो बन ही आएगी। यहां काम करने वालों खासकर प्रसिद्धि हासिल कर चुके कलाकरों पर एक और दबाव होता है फिट रहने का। इसके चक्कर में जिम जाना, और त्वरित परिणाम पाने के लिए एस्टेरिओड्स लेकर बॉडी बिल्डिंग करने के चक्कर में भी कलाकार अपने शारीरिक स्वास्थ्य की अनदेखी कर बैठते हैं और कभी -कभी उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

क्या करियर का दबाव है ?

लेकिन क्या ऐसा केवल फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों के साथ हो रहा है? नहीं। चूंकि ये सेलिब्रिटी हैं तो इनकी खबरें फ़ैल जा रही है। असलियत ये है कि इस तरह की घटनाएं अपने आस-पास भी सुनने में आ रही हैं और निस्संदेह इन घटनाओं के मूल में आज की जीवन शैली ही है। शोध बताते हैं कि देर रात तक जगना और फ़ास्ट फ़ूड स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहे हैं। ऊपर से युवा भी पढ़ाई और करियर की चिंता में बहुत अधिक मानसिक तनाव झेल रहे हैं। ऐसे में अचानक हार्ट अटैक आ ही सकता है।
स्वस्थ जीवन शैली, तनाव मुक्त परिवेश और परिवार का साथ ही ऐसे मामलों को बढ़ने और होने से रोकने में कारगर साबित हो सकता है।