कभी फौजी, कभी जवान और अब डंकी: बॉलीवुड के बेताज बादशाह की लोकप्रियता का राज
Shahrukh khan : बॉलीवुड और उसके चमकते सितारे जिनकी चमक से हर पीढ़ी की आंखें चौंधियाई रहती हैं, चाहे देव आनंद, दिलीप कुमार और राज कपूर की तिकड़ी हो, या सलमान, शाहरूख और आमिर खान की तिकड़ी। इस तिकड़ी में शाहरूख खान कुछ खास इस मायने में हैं कि वो बॉलीवुड के खानदानी शाहजादे नहीं बल्कि दिल्ली के एक आम परिवार से ताल्लुक रखने वाले इंसान हैं जो अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर बॉलीवुड के ‘बादशाह’ बने। इनकी फिल्मी यात्रा बेजोड़ है, जिसमें इन्होंने एक से एक औसत और एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में की हैं। ये ऐसे कलाकार हैं जिनके प्रशंसक हर सामाजिक वर्ग में मिलेंगे। सामने की सीट पर बैठ सीटी बजानेवाले भी और मल्टीप्लेक्स में बैठे उच्च वर्ग में भी।
बातों को बहुत प्रभावशाली तरीके से रखते
फिल्मों में इनके अभिनय को तो लोग पसंद करते ही हैं, इनकी वाकपटुता के भी कम लोग दीवाने नहीं। सोशल मीडिया पर अक्सर इस तरह के पोस्ट दिखाई दे जाते हैं, जिनमें इनके अभिनय की कम और इनके व्यवहार और हाजिरजवाबी की अधिक चर्चा होती है। उनके इंटरव्यूज अगर देखें तो एक बात तो साफ हो जाती है कि अपने विचारों को वो बहुत ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते हैं। बहुत ही सलीके से उन्होंने अपनी एक ऐसी छवि गढ़ी है जिसमे वो महिलाओं को सम्मान और बराबरी का दर्जा देते हुए दिखाई देते हैं।
थियेटर से दूरदर्शन और फिर मुंबई
शाहरूख खान थियेटर से निकल दूरदर्शन पंहुचे और वहां से मुंबई। उनकी यह यात्रा एक दर्शक और फैन की निगाह में परियों की कहानी सरीखी है जहां एक साधारण इंसान एक ऐसे जादुई और सपनीली दुनिया का बादशाह बन गया, जिसका हिस्सा बनना हर कलाकार का ख्वाब होता है। अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने अपने अनुभवों, भूमिकाओं, और दर्शकों के अपने प्रति प्रेम के बारे में जो कुछ साक्षात्कारों और सोशल मीडिया तथा विभिन्न समारोहों में बताया है उससे एक बात तो साफ जाहिर है कि वे ‘शाहरुख़ खान-द बादशाह ऑफ बॉलीवुड’ की अवधारणा को बहुत अच्छे तरीके से समझते हैं।
आम लोगों के साथ खुद को कनेक्ट करते हैं
वो बहुत ही अच्छी तरह जानते हैं कि इस पेशे में टिके रहने के लिए ना सिर्फ लार्जर दैन लाइफ इमेज बनानी पड़ती है, बल्कि आम लोगों के साथ एक कनेक्ट भी स्थापित करना होता है। और ये कनेक्ट बनाने का मौका वो कभी नहीं चूकते। बात अवार्ड समारोहों के दौरान खुद ही अपना मजाक उड़ाने की हो या साक्षात्कारों में विनम्रता पूर्वक अपने उम्र और चेहरे पर आती झुर्रियों के बारे में खुलकर बात करना, हर बार वो सिद्ध कर जाते हैं कि वो भी उन सब उलझनों, और परेशानियों का सामना कर रहे हैं, जो एक आम इंसान के रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा है। यही वजह है कि वे अपने लिए दर्शकों के दिलों में इतने लम्बे समय तक जगह बना कर रखने में सफल हो पाए हैं।
अटूट दृढ़ संकल्प की कहानी है उनकी यात्रा
“कल हो ना हो” से लेकर “रब ने बना दी जोड़ी” तक, शाहरुख की भूमिकाएं आम आदमी को जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए दर्शाती हैं। वह अन्य बॉलीवुड अभिनेताओं की तुलना में बेजोड़ तरीके से आम लोगों से जुड़कर कमजोरी और भावनाओं को ताकत में बदल देते हैं। वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं है; वह जुनून और कड़ी मेहनत की ताकत में दृढ़ विश्वास रखते हैं। दिल्ली के एक मध्यवर्गीय लड़के से बॉलीवुड के शिखर तक की उनकी यात्रा अटूट दृढ़ संकल्प की कहानी है। उनके शब्द लाखों लोगों को अपने सपनों का पीछा करने, आत्म-विश्वास रखने और अदम्य जुनून के साथ जीवन का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं। और यही उनकी ताकत है। आम लोगों से जुड़ने का कारण है। हाल ही में रिलीज हुई उनकी तीनों फिल्मों की सफलता उनके स्टार पॉवर को बयां करती हैं।
सफल निर्माता भी हैं शाहरूख
एक सफल अभिनेता होने के साथ साथ वो एक सफल निर्माता भी बन चुके हैं। उनके प्रोडक्शन हाउस ने अगर एक तरफ मसाला बॉलीवुड सुपरहिट फिल्मे दी हैं तो दूसरी तरफ डियर जिंदगी और बिल्लू बार्बर सरीखी ऑफ बीट फिल्में भी बनाई हैं। उम्मीद है कि शाहरुख खान इसी तरह जनता के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे और अपने दर्शकों के लिए अच्छी फिल्मे बनाते रहेंगे।