Maharaj Movie : आखिरकार कोर्ट से मिली महाराज फिल्म को राहत, आमिर खान के बेटे जुनैद की पहली फिल्म पर क्यों हुआ विवाद
Maharaj Movie : भारत में फिल्मों पर विवाद कोई नई बात नहीं है। यहां हर साल कोई न कोई फिल्म विवादों में आती रही है। किसी पर किसी खास वर्ग की भावनाओं को भड़काने, तो किसी पर किरदारों के गलत चरित्र-चित्रण करने तो कभी आपत्तिजनक तो कभी सेक्सुअल कंटेंट के खिलाफ आवाज उठती रही है। फिल्मकारों को भी लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है। हालांकि कानूनी उलझन का सामना करने के बाद फिल्में कांट-छांट के बाद रिलीज भी हो ही जाती हैं, हालांकि विवाद को पब्लिसिटी के हथकंडे से भी जोड़कर देखा जाता है।
हिंदू धर्म को आहत करने का आरोप लगा
ताजा विवाद फिल्म महाराज पर हुआ। इस फिल्म पर हिंदू धर्म को आहत करने का आरोप लगा। यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर 14 जून को रिलीज होने वाली थी लेकिन फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाई कोर्ट ने रिलीज के एक दिन पहले इस पर अंतरिम रोक लगा दी। हालांकि, 21 जून को सुनवाई करते हुए उसने अपनी रोक हटाते हुए फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि फिल्म बनाने का मकसद किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करना नहीं है।
आमिर खान के बेटे जुनैद की यह पहली फिल्म
यह फिल्म ज्यादा चर्चा में इसलिए भी है क्योंकि इस फिल्म से बॉलीवुड के मिस्टर परफेकनिस्ट आमिर खान के बेटे जुनैद खान का डेब्यू हुआ है। इस फिल्म में जुनैद के अलावा जाने माने एक्टर जयदीप अहलावत भी हैं। जयदीप विलेन और महाराज की भूमिका में हैं। आइए जानते हैं कि महाराज को लेकर आखिर हंगामा क्यों बरपा? महाराज फिल्म सन 1862 के एक मानहानि मामले की कहानी पर आधारित है। फिल्म में जुनैद रिपोर्टर और समाज सुधारक रहे करसनदास मुलजी का किरदार निभा रहे हैं। अंग्रेजों के शासन में करसनदास ने महिलाओं के अधिकार और समाजिक सुधार के लिए आवाज उठाई थी। वल्लभ संप्रदाय के धर्मगुरु जिन्हें महाराज की पदवी दी जाती है, करसनदास ने उनके आचरण पर सवाल उठाते हुए न्यूज पेपर में एक लेख लिखा था।
करीब डेढ़ महीने तक मामले की सुनवाई चली
दरअसल, करसनदास ने महाराज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उनके चरित्र पर सवाल खड़े किए थे। आरोप के बाद महाराज ने उन पर मानहानि का मुकदमा कर दिया। कोर्ट में करीब डेढ़ महीने तक तक इस मामले की सुनवाई चली। सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने करसनदास के पक्ष में फैसला सुनाया। यह केस उस समय खूब सूर्खियों में रहा। इस केस का भारतीय कानून के इतिहास में गहरा प्रभाव माना जाता है। महाराज की रिलीज डेट जब करीब आई तो सोशल मीडिया पर फिल्म को बैन करने और नेटफ्लिक्स का बॉयकॉट करने का हैशटैग चलने लगा।
फिल्म के पोस्टर पर भी सवाल
आरोप लगा फिल्म और नेटफ्लिक्स दोनों एंटी हिंदू कंटेंट को प्रमोट कर रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची ने कहा कि सनातन धर्म का अपमान नहीं सहा जाएगा। उन्होंने महाराज फिल्म पर बैन लगाने की मांग की। फिल्म का पोस्टर भी विवाद का एक कारण रहा। दरअसल, पोस्टर में जुनैद के माथे पर कोई टीका लगा दिखाई नहीं दे रहा है। जबकि लोगों का कहना है कि करसनदास अपने माथे पर हमेशा तिलक लगाए रहते थे। फिल्म का विरोध करते हुए भगवान कृष्ण और वल्लभाचार्य के भक्तों की तरफ से गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई। याचिका में कहा गया कि यह फिल्म पब्लिक ऑर्डर खराब कर सकती है और इससे हिंसा भड़क सकती है।
करसनदास मूलजी की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। दरअसल, नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उस समय के अपने एक ब्लॉग में उन्होंने उनकी तारीफ की थी। महिला अधिकार और समाज सुधारक के तौर पर मुलजी के कार्यों को उन्होंने खूब सराहा था।