सपनों को पूरा करने में कैसे रोड़ा बनती है अंग्रेजी, रुपहले पर्दे पर डंकी-12वीं फेल ने संजीदगी से दिखाया
Bollywood News: हालिया रिलीज हिंदी फिल्में डंकी और 12वीं फेल भले ही अपने कथानक में अलग दिखें, लेकिन दोनों में ही एक समानता दिखती है जो है सफल होने के लिए अंग्रेजी जानने की जरूरत। दोनों ही फिल्मों से ये जाहिर होता है कि देश हो या परदेस सफल होने और जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करने के लिए अंग्रेजी जानना अनिवार्य है। मानवीय जिजीविषा, कुछ कर गुजरने की इच्छा और असंभव को हासिल करने की इंसानी जिद में अंग्रेजी किस कदर रोड़ा बनती है ये दोनों ही फिल्मों बड़ी संजीदगी से परदे पर उकेरती हैं।
बारहवीं फेल का नायक अंग्रेजी ठीक से ना जानने की वजह से गलत उत्तर लिख देता है और यूपीएससी के पेपर में फेल हो जाता है तो वहीं डंकी का नायक अंग्रेजी ना जानने की वजह से परदेस में तरह-तरह की कठिनाइयों का सामना करता है। फिल्म के किरदारों का ये सच हमारे आस-पास भी मौजूद हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में स्टूडेंट्स लगभग हर रोज इस तरह की दिक्कतें झेलते हैं। चाहे ग्रेजुएशन करने वाले स्टूडेंट्स हों या शोधार्थी, अपनी भाषा में अच्छी गुणवत्ता वाली किताबें ना मिलने की वजह से उन्हें अंग्रेजी की किताबों पर निर्भर होना पड़ता है।
दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है
जाहिर है कि उन्हें एक ही विषय पर दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है। भले ही उनका माध्यम कोई भी हो, उन्हें पहले अपनी विषय वस्तु को अंग्रेज़ी में पढ़ना होता है, फिर उसका हिंदी, या जो भी उनका माध्यम हो, उसमें अनुवाद करना होता है। बहुत बार ऐसा भी होता है कि अंग्रेज़ी जानने वालों को हर तरह से प्राथमिकता दी जाती है जैसा की बारहवीं फेल के क्लाइमेक्स में भी दिखाया गया है।
अंग्रेजी न जानकर भी सफल हो सकते हैं
इसका ये मतलब नहीं की जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती वे अपना मुकाम हासिल नहीं कर पाते, पर ये जरूर है कि उन्हें मेहनत बहुत अधिक करनी पड़ती है और उन्हें लोगों के साथ की सख्त जरूरत होती है। जैसा कि बारहवीं फेल में भी दिखाया गया है कि नायक बहुत मेहनती तो था पर अंततः यदि उसके दोस्त, मित्र और शुभचिंतक उसका साथ नहीं देते तो उसका सपना कभी पूरा नहीं होता।
दुनिया को जानने-समझने के लिए अंग्रेजी का ज्ञान जरूरी
तो सोचने वाली बात है कि क्या अंग्रेजी इतनी जरूरी है? क्या सफलता के लिए ये अनिवार्य शर्त है? इसका ज़वाब देना शायद उतना आसान नहीं जितना कि लगता है। इतना तय है कि आज के वैश्वीकरण के दौर में अंग्रेजी का महत्व पहले के मुकाबले और अधिक बढ़ गया है। तो अपनी पहचान और अस्मिता के लिए अपनी भाषा को जानना जितना जरूरी है उतना ही दुनिया को जानने-समझने के लिए अंग्रेजी का ज्ञान भी जरूरी है। लेकिन यह भी याद रखने की जरूरत है कि सफलता केवल अंग्रेजी जानने से नहीं मिलती, बल्कि ज्ञान, मेहनत और लगन का भी उसमें बराबर का योगदान होता है
तो, अगली बार जब आप ‘कोई फिल्म देखें ना केवल उसका लुत्फ उठाएं बल्कि उनमें समाज की जिन सच्चाइयों को दिखाया गया है उसपर भी ध्यान दें।