नजरिया गढ़ने से लेकर GenZ को लुभाने तक, दो धारी ‘तलवार’ जैसा काम कर रहे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स

 

Social Media Influencers: मोबाइल फोन की सर्व सुलभता और फ्री इंटरनेट डेटा ने आम आदमी को अपने जीवन के खास और आम पलों को वीडियो कंटेंट के रूप में सोशल मिडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से सबके साथ साझा करने का अवसर दिया है। ऐसे में इन प्लेटफॉर्म्स पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की एक पूरी कौम खड़ी हो गई है जो लोकप्रियता के मामले में किसी भी क्षेत्र के अन्य सेलिब्रिटी को टक्कर दे सकते हैं। जैसा कि नाम से ही जाहिर है ये इन्फ्लुएंसर इन्फ्लुएंस यानी की प्रभावित करते हैं लोगों के विचारों को, उनके जीवन शैली को, किसी घटना, या परिस्थित या फिर सामाजिक रीति रिवाजों से जुड़े मान्यताओं को लेकर। इन इन्फ्लुएंसर्स और इनके विषय वस्तु की फेहरिस्त काफी लम्बी हो चुकी है और इनमें दिन दूना रात चौगुना वृद्धि ही होती जा रही है।

सोशल मिडिया गढ़ रहा नजरिया?

ऐसे में युवा पीढ़ी खुद को और अपने स्थानीय से लेकर वैश्विक परिदृश्य को कैसे देखती समझती है, इन सबके बारे में उनके नजरिये को आकार देने में इन इन्फ्लुएंसर्स की भूमिका बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। आज की जेनजी का दृष्टिकोण ही सोशल मिडिया के जरिये विकसित हो रहा है। क्योंकि यह अपने दिन का अच्छा-खासा समय सोशल मिडिया को समर्पित कर देती है।

इन्फ्लुएंसर्स से कनेक्ट करती है युवा पीढ़ी

आज की युवा पीढ़ी को हो सकता है किसी राजनेता, खिलाड़ी, यहां तक कि फिल्म सेलिब्रिटी तक को ना पहचाने। लेकिन अपने प्रिय मीडिया इन्फ्लुएंसर से मिलने घर से भाग भी सकती है। कहीं ना कहीं इसका कारण ये है कि इन्फ्लुएंसर्स से वे कनेक्ट कर पाते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि यह हमारे ही बीच का है। हमारी दिक्कतों और परेशानियों, और सपनों आकांक्षाओं की बातें कर रहा है तो ये हममें से ही कोई एक है।

अपनी एक खास इमेज गढ़ते हैं

इस कनेक्ट बनने के पीछे एक और कारण है, वह है इमेज यानी छवि। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अपनी एक खास इमेज गढ़ते हैं। इसके साथ ही युवा पीढ़ी के रोल मॉडल का भी काम करते हैं। अपने संघर्षों, और मुश्किलों के बारे में सारी दुनिया को बताते हैं और युवा पीढ़ी को उनसे बचने के उपाय भी। महिला सशक्तीकरण हो या सामाजिक समता और न्याय की वकालत करना, दर्जनों ऐसे इन्फ्लुएंसर हैं जो सोशल मिडिया पर बहुत ही सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

उत्पाद खरीदने के लिए जेनजी को उकसाते हैं

इसके अलावा जहां पहले फैशन के मानक और ट्रेंड पत्रिकाओं और रेड कार्पेट उपस्थिति से तय होते थे, वहीं अब इन्फ्लुएंसर्स इसे तय करने लगे हैं। सोशल मिडिया मार्केटिंग के अंतर्गत ये विभिन्न कंपनियों के साथ जुड़ते हैं, उनके उत्पाद का प्रचार करते हैं, कमाते हैं और इसके साथ ही जेनजी को भी इन उत्पादों को खरीदने के लिए उकसाते हैं। जी हां, इसे उकसाना ही कहेंगे, जैसे पहले टीवी के प्रचार द्वारा लोगों को लुभाया और उकसाता जाता था, अब सीधे जेन जी को ही उकसाया और लुभाया जाता है।

सुंदरता को भी पुनर्परिभाषित किया है

फैशन ट्रेंड के साथ-साथ इन्होंने सुंदरता को भी पुनर्परिभाषित किया है। सुंदरता की एक आदर्श छवि गढ़ने, और अपने फॉलोवर्स से उसे हासिल करने के लिए विभिन्न फिटनेस और स्कीन केयर रूटीन अपनाने के लिए कहते हैं, जिसमें कहीं ना कहीं किसी ना किसी उत्पाद को इस्तेमाल कारण यही होता है। ऐसे में बहुत बार गलत सूचनाएं युवा पीढ़ी तक पंहुचती हैं जो उनके लिए बहुत हानिकारक भी साबित हो सकती है।

मानसिक रूप से प्रताड़ित भी की जा रही औरत

हाथ में एक मोबाइल फोन हो और साथ में फ्री डेटा तो कोई भी वीडियो बनाकर अपने विचारों को सबके साथ साझा कर सकता है। ऐसे में एक खतरा भी है। खतरा ये कि ‘कोई भी’ यानी सामाजिक भेदभाव बढ़ने वाली मानसिकता के लोग हों, या फिर महिला विरोधी, इस सोशल मिडिया तक उनकी भी उतनी ही पंहुच ही जितनी औरों की। और इसका फायदा भी ऐसे लोग उठा ही रहे हैं। एक लम्बी लड़ाई लड़ने के बाद जिन अधिकारों के प्रति स्त्री जागृत और सचेत हुई है, उसके लिए ही अब वो सोशल मिडिया के द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित भी की जा रही है।

हमारी दुनिया को प्रभावित कर रहे हैं इन्फ्लुएंसर्स

दूसरी तरफ ऐसे भी इन्फ्लुएंसर्स हैं जो खुलेआम उस पितृसत्ता को उचित ठहराते पाए जाते हैं जिसके अंतर्गत स्त्रियों का काम केवल घर-परिवार की देखभाल तक ही सीमित माना जाता है। बहुत बार ऐसे लोगों ने कैंसिल कल्चर चलाकर लोगों के अच्छे खासे करियर को तबाह तक कर दिया है। सोशल मिडिया इन्फ्लुएंसर्स फैशन ट्रेंड से लेकर सौंदर्य मानकों और सामाजिक बुराइयों के प्रति जागरूकता जगाने जैसे कार्यों से हमारी दुनिया को प्रभावित कर रहे हैं और एक इसे एक नया स्वरूप दे रहे हैं। निश्चित ही उनका प्रभाव व्यापक है। ऐसे में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं को पहचानना और एक ऐसे डिजिटल दुनिया को रचना जो प्रामाणिकता, समावेशिता और सटीक जानकारी को बढ़ावा देता है जरूरी हो जाता है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की एक दुनिया एक गतिशील दुनिया है, और इस दुनिया का उपयोग सकारात्मक बदलावों के लिया किया जाये तो हमारी वास्तविक दुनिया खूबसूरत, समावेशी और सौहार्दपूर्ण अवश्य होगी।