रेडियो की वो आवाज जिसने बॉलीवुड को जनता से कर दिया कनेक्ट, हो गई खामोश

 

Ameen Sayani: बहनों और भाइयों देखिए अभी जो आपने ये गाना सुना ना! अरे वाह साहब क्या ग़ज़ब का गाना है! यही गाना आज गीतमाला की संगीत श्रेणी की चोटी पर था। सात दिनों के ज़बर्दस्त इंतज़ार के बाद सात पायदानों की ज़बर्दस्त छलांग लगाकर ये गाना आज चोटी पर पंहुच गया है और इस गीत के बाद आज हमारा ये कार्यक्रम होता है ख़त्म! इजाज़त दीजिए अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे । नमस्ते, आदाब! अर्ज़ है -गुडबाय और सत श्री अकाल।”

बिनाका गीतमाला को घर-घर में कर दिया लोकप्रिय

कुछ यूँ विदा लेते थे अमीन सयानी अपने सदाबहार साप्ताहिक रेडियो कार्यक्रम बिनाका गीतमाला से जिसका प्रसारण रेडियो सीलोन से हुआ करता था। रेडियो सीलोन और अमीन सयानी मानो एक दूसरे के पर्याय थे। एक समय ऐसा था जब देश के कोने कोने में इनकी यह आवाज़ गूंजती थी। अपने श्रोताओं से जुड़ने के लिए इन्होने एक ऐसी भाषा गढ़ी कि एक साक्षात्कार में प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर जी ने इनसे पूछ ही लिया कि “आप भाषा का मर्डर क्यों कर रहे हैं?” अपनी भाषा में अंग्रेज़ी, फ़ारसी उर्दू, हिन्दी, इन सभी भाषाओं का मेल करने वाले अमीन सयानी का कहना था ” कि ज़बान ऐसी हो जो सबकी समझ में आये।” आज के सन्दर्भ में देखें तो कहीं ना कहीं जेनजी की खिचड़ी भाषा उनके प्रयोग की परिणति है।

कुल जमा नौ वर्ष की उम्र से ब्राडकास्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले अमीन सयानी साहित्यिक परिवेश में पले बढ़े थे। उद्घोषक के रूप में काम करने के पहले मेहनताने के रूप में इन्हें हर हफ्ते एक हेल्थ ड्रिंक का डब्बा मिला करता था। शुरुआत तो इन्होने अंग्रेज़ी ब्रॉडकास्टिंग से की थी और बाद में चलकर इन्होने हिंदी ब्रॉडकास्टिंग भी शुरू कर दी। बिनाका गीतमाला की शुरुआत के बारे में इन्होने एक इंटरव्यू में बताया था कि 3 दिसंबर 1952 को सबसे पहला कार्यक्रम प्रसारित हुआ और इन्हे उम्मीद थी कि 40-50 चिट्ठियां तो आ ही जाएँगी लेकिन इन सबकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा जब 9000 चिट्ठियां आईं। इसीसे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह कितना लोकप्रिय कार्यक्रम था।

टीवी और डिजिटल मिडिया विहीन उस दौर में बिनाका गीतमाला ने हिंदी फिल्म उद्योग को “बॉलीवुड” बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी, जिसका श्रेय अमीन सयानी जी को जाता है। जैसे डॉट.कॉम बूम ने बॉलीवुड को अंतरराष्ट्रीय पटल पर उकेरा ठीक वैसे ही बिनाका गीतमाला ने बॉलीवुड को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उस दौर में जब ऑल इंडिया रेडियो पर फ़िल्मी गीतों के प्रसारण पर प्रतिबन्ध लगा हुआ था, रेडियो सीलोन के बिनाका गीतमाला ने फिल्म संगीत को उसकी बुलंदियों तक पंहुचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। इनके कार्यक्रम बॉलीवुड और श्रोताओं के बीच एक कड़ी का काम करते थे और सितारों को उनके दर्शकों से मुखातिब होने का मौका दिया करते थे। इनके कार्यक्रमों की लोकप्रियता ही थी कि ऑल इंडिया रेडियो को फ़िल्मी संगीत के प्रसारण पर लगा प्रतिबन्ध हटाना पड़ा और विविध भारती की स्थापना करनी पड़ी।

नाराज हुए तो किशोर कुमार से 18 साल तक बात नहीं की

इनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इन्हे फिल्मों के भी बहुत से ऑफर मिले जिन्हे ये ठुकराते चले गए क्योंकि अधिकतर खलनायक बनने के ऑफर मिलते रहे और ये नायक बनने में अधिक दिलचस्पी रखते थे। हालाँकि भूत बंगला नाम की एक फिल्म में इन्होने अनाउंसर की एक छोटी सी भूमिका निभाई थी। बाद के दिनों में “एस. कुमार का फ़िल्मी मुकदमा” जैसे सितारों के इंटरव्यू वाले कार्यक्रमों का भी इन्होने संचालन किया। ऐसे ही एक कार्यक्रम के लिए इन्हे किशोर कुमार का इंटरव्यू लेना था, जो इनके बहुत अच्छे मित्र भी थे। उन्होंने समय देकर भी इंटरव्यू नहीं दिया और अमीन सयानी को उनका व्यवहार इतना खला कि अगले अठारह वर्ष तक इन्होने किशोर कुमार से बात तक नहीं की।

अमीन सयानी ने ब्रॉडकास्टिंग की दुनिया में जो मुकाम हासिल किया वह अद्वितीय है । भाषा में नए नए प्रयोग करना हो, या किसी नए फॉर्मेट में रेडियो प्रोग्राम बनाना, उनकी बराबरी कोई नहीं कर पाया। उनके रेडियो कार्यक्रमों ने तो फिल्म और संगीत की दुनिया को नए आयाम दिए। ऐसे में उनके योगदान का उचित मूल्यांकन होना चाहिए ताकि आनेवाली पीढ़ियां उनकी स्मृति को बनाए रखें।