भोजपुरी गानों पर अश्लीलता की तोहमत: फसाना या हकीकत?
Vulgarity in Bhojpuri Songs आजकल भोजपुरी गानों को अश्लीलता का पर्याय मान लिया गया है। माना भी क्यों ना जाए जब खटिया, चोली, लहंगा, साली से भोजपुरी के ज्यादातर नामी गायक-गायिका ऊपर उठ ही नहीं पा रहे। हालांकि, यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। ऐसा नहीं कि यह आरोप निराधार है, अश्लीलता है, लेकिन पर्याय के रूप में नहीं। भोजपुरी में अच्छे गाने भी हैं । दिक्कत ये है कि जिन्होंने साफ-सुथरे अर्थपूर्ण अच्छे गाने गाए हैं, उन्होंने ही अश्लील गाने भी गाए हैं। लेकिन उनका नाम सिर्फ अश्लीलता के साथ जोड़ दिया गया है।
भोजपुरी है तो अश्लील होगा?
कुछ गाने तो ऐसे हैं जिन्हें आप चुटीले और मजेदार की श्रेणी में रख सकते हैं लेकिन पूर्वाग्रह इतना है कि हर गाने को ही अश्लील मान लेना है। भोजपुरी में है मतलब अश्लील है ये एक ऐसी मान्यता हो गई है जिससे मुक्ति पाना असंभव सा लगने लगा है। हर भाषा और क्षेत्र की अपनी संस्कृति, रवायतें, और लोकगीत संगीत होते हैं। जब सिनेमा बनने शुरू हुए और उसने अपने पैर क्षेत्रीय भषाओं में पसारने शुरू किये तो लोकगीत और संगीत को उस भाषा की फिल्मों में भी स्थान मिला।
फिल्मों में आए रस्म, लोकाचार, पारंपरिक गीत
नतीजतन सामाजिक रवायतों, रस्मों, और रूढ़ियों, मान्यताओं ने भी फिल्मों में अपनी जगह बनाने शुरू कर दी। शादी ब्याह की रस्में और उससे जुड़े गीतों ने भोजपुरी फिल्मों में अच्छी धूम मचाई। ऐसे में पारम्परिक तौर पर गाये जाने वाले गीत जैसे की ‘गारी’ (गाली) जो दूल्हे और बारातियों के स्वागत में और विभिन्न रस्मों के दौरान गाई जाती हैं, ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। फाग भी ऐसे ही पारम्परिक गीत हैं जो चुटीले और मजाकिया अंदाज में गाये जाते है।
सबको क्लिकबेट कंटेंट चाहिए
अक्सर ऐसे गानों को भी अश्लील ही मान लिया जाता है। सोशल मिडिया और यूट्यूब के दौर में ऐसे ही वीडियो की संख्या में दिन दूना रात चौगुना बढ़ोत्तरी हुई। चूंकि लाइक, शेयर, कमेंट, और सब्सक्राइबर बटोरने और वायरल होने की होड़ में सबको क्लिकबेट कंटेंट चाहिए। कुछ ऐसे भी गाने इन सारे गायकों और गायिकाओं ने गाए हैं जो आज के दौर के उत्तर प्रदेश और बिहार के युवाओं एवं सामाजिक ताने-बाने को बिलकुल उसी रूप में दिखाते हैं जिस रूप में वो मौजूद हैं। जरूरत है खुले दिलो दिमाग के साथ हंस की तरह दाना चुगने की।
बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक निम्नस्तरीय गीत
क्योंकि अगर एक नजर बॉलीवुड के गायक-गायिकाओं पर डालें तो हम पाएंगे कि एक से बढ़कर एक उम्दा गीत लिखने वाले गीतकार और उन्हें स्वर देनेवाले गायक-गायिकाओं ने एक से बढ़कर एक निम्नस्तरीय गीत लिखा और गाया है। साठ का दशक हो या सत्तर, अस्सी, नब्बे या फिर इक्कीसवीं सदी के गुजरे दशक, हर समय में ऐसे द्विअर्थी गाने बने हैं जो सुनने लायक नहीं। उन्हें गाने वाले कोई ऐसे वैसे गायक या गायिका नहीं सब एक से बढ़कर एक हैं। लेकिन सुनने वालों ने हंस की तरह अच्छे गानों को ही चुना और सुना है।
भोजपुरी गानों को लेकर ज्यादा हल्ला मचता है
ये और बात है कि बहुत से द्विअर्थी गाने लोग बड़े जोश में सुनते हैं क्योंकि वे हिंदी भाषा में रचे जाने के कारण मानो धुल गए हैं, उनका दोष खत्म हो गया है। देखा जाए तो पंजाबी गाने भी बॉलीवुड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं और एक से बढ़कर एक हिट और लोकप्रिय पंजाबी गाने हिंदी फिल्मों में हैं। उनमें से बहुत से ऐसे हैं जिनका अनुवाद किया जाए तो अश्लीलता के पैमाने पर भोजपुरी कहीं बहुत पीछे रह जाएगी। लेकिन चूंकि वो मुख्यधारा की बड़े स्टारकास्ट वाली फिल्मों का हिस्सा हैं, उनके बारे में इतनी हाय-तौबा नहीं मचती जितनी कि भोजपुरी गानों को लेकर मचती है। जाहिर सी बात है हर भाषा में हर तरह की रचना है। तो कुछ गानों के दम पर भोजपुरी को अश्लीलता का पर्याय बना देना कहां तक उचित है?