अपनी शर्तों पर काम करने वाली अभिनेत्री हैं वैजयंती माला, एक से बढ़कर एक फिल्मों का ऑफर ठुकराया
vyjayanthimala : 16 वर्ष की उम्र में हिंदी सिनेमा की दुनिया में कदम रखने वाली वैजयंती माला जितना नया दौर और आम्रपाली जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी के लिए जानी जाती हैं उतना ही वे अपने भरतनाट्यम के लिए भी प्रसिद्ध हैं। बल्कि कहा जा सकता है कि अभिनय से तो उन्होंने बहुत पहले ही दूरी बना ली थी लेकिन हाल ही में सोशल मिडिया पर भरतनाट्यम करते हुए उनकी रील साबित करती है कि इससे उनका लगाव अब तक बना हुआ है।
विवादों से नाम जुड़ते रहे
वैजयंती माला बॉलीवुड की एक ऐसी अदाकारा हैं जो अपने अभिनय और नृत्य प्रतिभा के साथ-साथ सितारों के साथ अपने संबंधों और विवाद के लिए भी काफी प्रसिद्ध रही हैं। ऐसा कहा जाता है कि दिलीप कुमार हों या राज कपूर इनका सम्बन्ध दोनों के साथ था। राम और श्याम फिल्म से जब दिलीप कुमार ने इनकी जगह वहीदा रहमान को दिलवाई तो ये दोनों में से किसी को माफ नहीं कर पाईं और दोनों के ही साथ इनके सम्बन्ध खराब हो गए।
इस बात पर ऋषि कपूर भी हुए नाराज
राज कपूर के साथ अपने संबंध का अपनी आत्मकथा में जब इन्होने खंडन किया तो उस वक्त ऋषि कपूर बहुत नाराज हुए और मीडिया में उनके ऐसे बयान भी आये के वैजयंती माला को कोई हक नहीं बनता की वे राज कपूर का अपमान करें।
इतना तो तय है कि इतनी कम उम्र में ही बॉलीवुड में पदार्पण करने वाली यह अभिनेत्री साहसी बहुत थी जिसने देवदास फिल्म के लिए फिल्म फेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड लेने से इसलिए इंकार कर दिया था क्योंकि इनका मानना था कि चंद्रमुखी की भूमिका किसी भी तरह से पारो से उन्नीस नहीं।
बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवार्ड मिला
हालांकि, बाद में गंगा जमुना के लिए इन्हे बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवार्ड मिला। एक और फिल्म थी आम्रपाली जिसमें इनके अभिनय के साथ ही इनके कपड़ों पर भी बहुत चर्चा हुई थी। इस फिल्म को लेकर ये बहुत आशान्वित थीं की इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिलेगा लेकिन उस वर्ष यह पुरस्कार नरगिस को रात और दिन के लिए मिला।
फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली
बॉलीवुड के काम करने का तरीका, सुपरस्टारों का अपनी नायिकाओं के प्रति नकारात्मक व्यवहार, और फिल्म के प्रचार के लिए गॉसिप का सहारा लेना शायद इन्हे पसंद नहीं आया और इन्होंने फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली। जहां इनके साथ की बहुत सी अभिनेत्रियां परदे पर विभिन्न भूमिकाओं में दिखती रहीं, वहीं इन्होने एक से बढ़कर एक ऑफर को ठुकराया। इनके जैसी अभिनेत्रियों ने ही बाद के कलाकारों को अपने हक के लिए बोलने का रास्ता खोला। एक ऐसे उद्योग में जहां आज भी गिनती की नायिकाओं को नायकों के बराबर रखा जाता है, यह बात काबिले तारीफ है कि उस दौर में भी एक ऐसी नायिका थी जो अपने शर्तों पर काम करती थी और आज भी अपने ही शर्तों पर अपना जीवन बिता रही है।