मोदी जी ध्यानचंद भी भारत रत्न के हकदार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से सत्ता संभाली है, वह लीक से हटकर काम करते रहे हैं। पद्म पुरस्कारों को जिस तरह उन्होंने आम लोगों का पुरस्कार बनाया उसकी सराहना सभी करते हैं। इसी तरह भारत रत्न में भी मोदी सरकार दलगत राजनीति से हटकर लोगों के चयन का दावा करती है। इसके पहले वह पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे प्रणब मुखर्जी को भी भारत रत्न दे चुकी है। इसके अलावा मदन मोहन मालवीय, नाना जी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेयी, डॉ भूपेंद्र हजारिका को भी मोदी सरकार ने भारत रत्न दिया है। भारत रत्न देने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 18(1) में है। 1954 में भारत रत्न पुरस्कार की स्थापना हुई और नियमों के मुताबिक़ एक साल में तीन ही पुरस्कार दिए जा सकते हैं । लेकिन मोदी सरकार ने इस बार देश की पांच हस्तियों को भारत रत्न देने का एलान किया है। इससे पहले सिर्फ एक बार 1999 में चार लोगों को ये सम्मान दिया गया था।
ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि एक शख्स जिसको भारत रत्न देने की मांग करीब 15 साल से चल रही है और उन्हें 2013 में भारत रत्न देने की फाइल पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) तक पहुंच गई थी। उन्हें भारत रत्न देने में देरी क्यों रही है। जबकि वह शख्स भारत रत्न पाने का उतना ही अधिकारी है, जितना कोई और। जी हां हम बात कर रहे हैं हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की। मेजर ध्यानचंद को साल 2013 में करीब-करीब भारत रत्न देने का फैसला हो गया था, लेकिन अंतिम क्षणों में वह फैसला पलट गया। और उसके बाद क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया गया।