सीएए की खुशी तो दर्द भी छलक उठा, पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थियों ने सुनाई रोंगटे खड़े करने वाली कहानी
CAA News: धरती और आसमां अपना हो लेकिन पूरा न हो. बच्चों के भविष्य की चिंता जब माथे की शिकन को और मोटी करती जाती हो. हम आज यहां हैं, कल कहां होंगे इसका ठिकाना मालूम न हों. जिंदगी कटती तो है लेकिन वह आसान नहीं बोझिल सी हो जाती है. उसमें रवानगी नहीं ठहराव का. ऐसा पड़ाव होता है जो इंसान को दिन ब दिन अंदर से तोड़ता और खोखला करता जाता है.लेकिन कोई एक फैसला नाउम्मीदी और बेबसी के भंवर से बाहर भी निकाल देता है.एक सरकारी फैसला किस्मत पलट देता है.जी हां..हम बात कर रहे हैं दिल्ली के मजनूं के टीले की जहां CAA की अधिसूचना लागू होने के बाद…वहां पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं है.
हिंदू शरणार्थियों में खुशी की लहर
यहां की गलियों में उदासी नहीं अब रौनक है लोगों की आंखों में बेबसी और लाचारी नहीं.बल्कि एक चमक और जिंदादिली का आलम है. आजादी, अपना देश भारतीय कहलाने के गर्व से .ये हिंदू शरणार्थी इठला रहे हैं.इंडिया अड्डा की टीम भी इस ऐतिहासिक अवसर का गवाह बनने मजनूं का टीला पहुंची…और उनके जज्बातों को आपतक पहुंचाने की कोशिश की….
यहां दुकान चलाने वाले राजाराम खुश हैं कि..अब उन्हें भारतीय नागरिकता मिल जाएगी…राजाराम कहते हैं कि पाकिस्तान में हिंदुओं की इज्जत नहीं होती है…मुसलमान हिंदुओं की जमीन छीन लेते हैं…महिलाओं के साथ गलत काम करते हैं… 2013 में सिंध के हैदराबाद से दिल्ली आए सेवाराम का दर्द भी कम नहीं है…सेवाराम ने बताया कि बंटवारे के समय उनके पूर्वज वहीं रह गए लेकिन हिंदुओं के साथ होने वाले अत्याचार और बच्चों के भविष्य की चिंता उन्हें भारत लेकर आई..अब यही उनका देश है…
अब हुए आजाद
2014 में सिंध प्रांत से आए मदन कुमार का कहना है कि अब वह आजाद हो गए हैं…अब भारत में कहीं पर भी जाकर रह सकते हैं. 13 साल पहले आई राजकुमारी पाकिस्तान में अपनी दुर्दशा बयां करते हुए कहती हैं कि मुसलमान उनके घरों में दाखिल हो जाते थे, मारते और धमकाते थे. 17 साल के मुकेश कुमार ने बताया कि पाकिस्तान में उनके साथ भेदभाव किया जाता था. छूआछूत था.लड़कियों से गलत व्यवहार किया जाता था.
अब कोई नहीं बोलेगा पाकिस्तानी
2013 में ही सिंध प्रांत से यहां आई सरस्वती ने बताया कि पाकिस्तान में बच्चों की पढ़ाई लिखाई नहीं हो पाती थी. हिंदू लड़कियों को परेशान किया जाता था. वह भारत की नागरिकता चाहती थीं अब वह मिल जाएगी. इसके लिए उन्होंने मोदी सरकार को बधाई दी.नागरिकता मिल जाने के बाद अब झुग्गियां नहीं टुटेंगी. अब हमको कोई पाकिस्तानी नहीं बोलेगा. 2011 में सिंध प्रांत के हैदराबाद से आईं सीता का दर्द भी दूसरी हिंदू महिलाओं जैसा है.बच्चों की पढ़ाई लिखाई और बेहतर भविष्य की चिंता उनके परिवार को भारत लेकर आई.
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