क्या निरहुआ को फिर मिलेगी कामयाबी ? आजमगढ़ की जनता का कुछ ऐसा है मिजाज
Azamgarh Loksabha Survey 2024: आजमगढ़ लोकसभा सीट के बारे में कहा जाता है कि समाजवादी पार्टी के लिए मैनपुरी के बाद सबसे अधिक सेफ सीट आजमगढ़ है. अगर चुनावी आंकड़ों को देखें तो यह कहावत सच भी साबित होती है. 2022 के उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने समाजवापार्टी के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को करीब आठ हजार मतों से हरा दिया था. हालांकि वो अखिलेश यादव के मुकाबले 2019 में चुनाव हार चुके थे. 2002 उपचुनाव के बारे में कहा जाता है कि अगर बीएसपी के गुड्डू जमाली कस कर इलेक्शन नहीं लड़े होते तो निरहुआ की जीत आसान नहीं थी. इन सबके बीच हम 2024 चुनाव से पहले जनता मिजाज समझने की कोशिश करेंगे. इंडिया अड्डा की टीम ने आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र का दौरा किया और लोगों को मूड को समझने की कोशिश की.
सवाल नंबर 1- पहला और सीधा सवाल यही थी कि यहां के सांसद के कामकाज से कितना खुश हैं. कितना पसंद है.
जवाब- करीब 45 फीसद लोगों ने कहा कि मौजूदा सांसद के कामकाज से खुश हैं. इसका अर्थ यह है कि करीब 55 लोग उनके कामकाज से खुश नहीं है. ज्यादातर लोगों ने कहा कि मंदूरी एयरपोर्ट को लेकर उनका रुख सही नहीं था.
सवाल नंबर 2- क्या बीएसपी ने जब अलग से चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो उसका असर क्या होगा.
जवाब- इस सवाल के जवाब में लोगों ने कहा कि आपने भी 2022 के नतीजों को देखा ही होगा. बीएसपी के अलग से लड़ने का मतलब है कि वोटों का बंटवारा होगा और उसका फायदा बीजेपी को मिलेगा.
सवाल नंबर 3- लोगों से पूछा गया कि अगर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद चुनावी मुकाबले में उतरें तो तस्वीर क्या होगी.
जवाब- इस सवाल के जवाब में करीब 60 फीसद लोगों ने कहा कि मुकाबला टक्कर का रहेगा. अखिलेश यादव की राह भी उतनी आसान नहीं रहेगी. समाजवादी पार्टी के लोग स्थानीय बनाम बाहरी का भी नारा बुलंद नहीं कर पाएंगे. आजमगढ़ के लोग उस सूरत में दिनेश लाल यादव पर भरोसा शायद अधिक करेंगे.
सवाल नंबर 4- बीएसपी क्या फिर वोटकटवा पार्टी बनेगी.
जवाब- इस सवाल के जवाब में लोगों ने कहा कि अगर बीएसपी प्रत्याशी का चयन पहले से हुआ और वो ठीक तरह से लोगों के बीच गया तो सबसे अधिक मुश्किल सपा के लिए होगी. बीएसपी अगर पूरी ताकत लगा देती है तो बीजेपी की राह उतनी ही आसान होती जाएगी.
सवाल नंबर 5- अंतिम सवाल हमार राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से था. इस सवाल को हमारी टीम मे सर्वे के दौरान प्राथमिकता से लोगों से पूछा था.
जवाब- यहीं करीब 90 फीसद लोगों ने चाहे वो हिंदू पंथ के किसी भी मत को मानने वाले रहे हों. चाहे अनुसूचित जाति समाज या पिछड़ा वर्ग या अति पिछड़ा वर्ग या सामान्य सबका जवाब एक जैसा था कि यह तो वो काम था जिसे सिर्फ बीजेपी ही कर सकती थी.
बता दें कि सर्वे को दिसंबर के मध्य में किया गया था. इस सर्वे में कुछ और सवाल पूछे गए थे जिसका जवाब हम अपने अगली रिपोर्ट में देंगे. देश दुनिया के साथ साथ विश्लेषण से भरी खबर पढ़ने के लिए indiaaddanews.com को लॉग इन करें. इसके साथ ही हमारे वीडियोज को देखना ना भूलें.