सपा से आरएलडी का तलाक ठीक था या गलत, जानें- क्या सोचते हैं बागपत के लोग
Baghpat Election Survey: आरएलडी और समाजवादी पार्टी में अब तलाक हो चुका है. इस बात के कयास तो पहले से ही लगाए जा रहे थे. लेकिन जब चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की गई तो तस्वीर साफ हो चुकी थी कि छोटे चौधरी यानी जयंत चौधरी एनडीए का हिस्सा बन जाएंगे. जयंत चौधरी के फैसले पर जाटलैंड के लोग क्या सोचते हैं उसे हमारी इंडिया अड्डा की टीम ने समझने की कोशिश की. हमारी टीम बागपत लोकसभा पहुंची जिसे चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि माना जाता है. बागपत लोकसभा सीट पर 2014 से पहले तक चौधरी चरण सिंह परिवार का कब्जा रहा है. लेकिन 2014 में बीजेपी ने इस सीट पर अपना कब्जा जमा कई तरह के राजनीतिक संदेश दिए.
बागपत में कुल पांच विधानसभा सीट
बागपत के लोग क्या सोचते हैं उससे पहले इस संसदीय सीट को समझना भी जरूरी है. बागपत में कुल पांच विधानसभाएं आती हैं. बागपत, बड़ौत, छपरौली, मोदीनगर और सिवालखास. मौजूदा समय में इन सभी पांचों विधानसभाओं पर बीजेपी का कब्जा है. अजीत सिंह इस सीट से 6 बार सांसद रहे हालांकि 2014 के चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. 2019 के चुनाव में उनके बेटे जयंत चौधरी ने किस्मत आजमाई लेकिन हार का सामना करना पड़ा.बागपत लोकसभा में कुल 15 लाख के करीब मतदाता हैं. इस सीट पर जाट, गुर्जर, त्यागी, राजपूत, मुस्लिम और दलित मतदाताओं का प्रभाव है.
सवाल नंबर 1- चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के फैसले से कितनी खुशी है ?
जवाब- बरनावा से जानी की तरफ जाते हुए हमारी टीम एक चीनी मिल के पास रुकी जहां गन्ने से लदे ट्रैक्टर थे. पहला सवाल यही कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने से आप कितने खुश है. इस सवाल के जवाब में शत प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह हमारे लिए खुशी की बात है. यहां बता दें कि इस सवाल में हमने सभी जाति और धर्मों के लोगों को शामिल किया था. किसी से भी यह सवाल पूछने पर एक ही जवाब मिलता था कि यह तो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था. अब इस तरह के जवाब से आप बागपत के मिजाज को समझ सकते हैं. हालांकि जब सवाल सीधे तौर पर जयंत चौधरी के राजनीतिक कदम को लेकर पूछा गया तो जवाब मिलाजुला था.
सवाल नंबर 2- क्या जयंत चौधरी का एनडीए में जाने का फैसला ठीक है ?
जवाब नंबर 2- इस सवाल के जवाब में अल्पसंख्यक समाज से जुड़े लोगों का कहना था कि चौधरी साहब ने यह ठीक नहीं किया. जिसके साथ वो रहे उनके साथ तो धोखाबाजी है. हालांकि पिछड़े समाज से जुड़े लोगों की राय थोड़ी कम तीखी थी. वो भी इस बात को मानते थे कि आरएलडी को सपा से अलग नहीं होना चाहिए था. लेकिन साथ में यह भी कहते थे कि सियासत में कुछ भी स्थाई कहां होता है.
सवाल नंबर 3- जाट और दूसरी जातियों का क्या था रुख ?
जवाब नंबर 3- जाट, राजपूत और त्यागी समाज में उत्तर अलग था. इस समाज से जुड़े लोग उल्टा ही सवाल कर बैठे कि अगर कोई आपके वजूद पर ही खतरा बन जाए तो आप क्या करेंगे. समाजवादी पार्टी एक तरफ तो आरएलडी के साथ बराबरी का व्यवहार करने का दावा करती थी. दूसरी तरफ आरएलडी को कमजोर करने की कोशिश भी करती रही. आखिर कोई भी शख्स अपनी पार्टी के वजूद को खत्म होते हुए कैसे देख सकता है. चौधरी जयंत सिंह ने जो फैसला लिया है वो समय की मांग थी. पार्टी को बचाने की कवायद लिहाजा आप उनके फैसले पर सवाल नहीं उठा सकते.
सवाल नंबर 4- क्या एनडीए में जाने से आरएलडी को ताकत मिलेगी ?
जवाब नंबर 4- इस सवाल के जवाब में करीब 70 फीसद लोगों ने कहा कि जयंत चौधरी जी की ताकत में कोई कमी नहीं है. लेकिन यदि राजनीतिक समीकरण ठीक से ना बैठ पाए तो आप खुद समझ सकते हैं नतीजा किस तरह का आएगा. अगर आप इंडिया ब्लॉक की बात करें तो खुद देख सकते हैं कि अब कहने के लिए विपक्ष का गठबंधन है. ऐसे में जयंत चौधरी का फैसला राजनीतिक तौर पर परिपक्व फैसला है.
सवाल नंबर 5- पीएम मोदी और सीएम योगी के बारे में क्या राय है ?
जवाब नंबर 5- इस सवाल के जवाब में करीब 75 फीसद लोगों ने कहा कि प्रदेश को सीएम योगी जैसी शख्सियत और देश के पीएम मोदी जैसे शख्स की जरूरत है. आज भारत में जिस तरह से यूपी का मान बढ़ा है वैसे ही वैश्विक स्तर पर भारत की साख में इजाफा हुआ है.
(नोट- इस सर्वे में कुल 500 लोगों की राय ली गई है. जो स्नैप पोल पर आधारित है.)