गाजीपुर में अफजाल अंसारी या कोई और, सर्वे में मिला दिलचस्प जवाब
Ghazipur Loksabha Survey 2024: 2019 के चुनाव में गाजीपुर सीट पर बीएसपी ने कब्जा जमाया था. अफजाल अंसारी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को सिकस्त दी थी. पारंपरिक तौर पर यह सीट बीजेपी की नहीं मानी जाती रही है. हालांकि मनोज सिन्हा ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत कर उस मिथक को तोड़ दिया था. अब जबकि आम चुनाव 2024 के लिए तारीखों के ऐलान का इंतजार है, इंडिया अड्डा की टीम ने गाजीपुर संसदीय सीट का जायजा लिया और यह समझने की कोशिश की अब लोग क्या सोचते हैं.
सवाल नंबर 1- पहला और सीधा सवाल यही थी कि यहां के सांसद के कामकाज से कितना खुश हैं. कितना पसंद है.
जवाब- करीब 55 फीसद लोगों ने कहा कि मौजूदा सांसद के कामकाज से खुश नहीं है. लोगों ने कहा कि ऐसे सांसद का क्या अर्थ है जो खुद की उलझनों में फंसा रहा है. जाहिर है कि लोग मुख्तार अंसारी और उनके परिवार के बारे में बात कर रहे थे. लोगों ने कहा कि 2019 में जरूर यहां की जनता से भूल हो गई.
सवाल नंबर 2- क्या बीएसपी ने जब अलग से चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो उसका असर क्या होगा.
जवाब- इस सवाल के जवाब में लोगों ने कहा कि बीएसपी के अलग लड़ने से असर पड़ेगा. अब जिस तरह से बयानबाजी हो रही है उसकी वजह से कार्यकर्ताओं के समझ पर भी असर पड़ रहा है. इसका सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को होगा हालांकि उसे अपने प्रत्याशी चयन के बारे में विचार करना होगा.
सवाल नंबर 3- लोगों से पूछा गया कि अगर पार्टी ने मनोज सिन्हा को टिकट दिया तो क्या आप गलती सुधारेंगे.
जवाब- इस सवाल के जवाब में करीब 60 फीसद लोगों ने कहा कि अभी तो वो जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल है. ऐसे में वो लोग कैसे कह सकते हैं कि उन्हें टिकट मिलेगा. लेकिन हां यदि किसी तरह की स्खिति बनती है तो कुछ ना कुछ बदलाव तो जरूर होगा, लोग अपनी भूल सुधारने की कोशिश करें.
सवाल नंबर 4- एक सीधा सवाल था कि अफजाल या मनोज सिन्हा ?
जवाब- इस सवाल के जवाब में करीब 58 फीसद लोगों ने मनोज सिन्हा पर भरोसा जताया. लोगों ने बताया कि उनके ना होने से इलाके के विकास पर असर पड़ा है. अगर वो हम लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे होते तो बहुत जल्द ही हम लोग नोएडा की कैटिगरी में आ खड़े हुए होते.
सवाल नंबर 5- अंतिम सवाल हमार राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से था. इस सवाल को हमारी टीम ने सर्वे के दौरान प्राथमिकता से लोगों से पूछा था.
जवाब- यहीं करीब 90 फीसद लोगों ने चाहे वो हिंदू पंथ के किसी भी मत को मानने वाले रहे हों. चाहे अनुसूचित जाति समाज या पिछड़ा वर्ग या अति पिछड़ा वर्ग या सामान्य सबका जवाब एक जैसा था कि यह तो वो काम था जिसे सिर्फ बीजेपी ही कर सकती थी.
बता दें कि सर्वे को दिसंबर के मध्य में किया गया था. इस सर्वे में कुछ और सवाल पूछे गए थे जिसका जवाब हम अपने अगली रिपोर्ट में देंगे. देश दुनिया के साथ साथ विश्लेषण से भरी खबर पढ़ने के लिए indiaaddanews.com को लॉग इन करें. इसके साथ ही हमारे वीडियोज को देखना ना भूलें.