2024 में प्रयागराज में किसका बजेगा डंका, आ सकते हैं चौंकाने वाले नतीजे
Prayagraj Lok Sabha Seat: इलाहाबाद अब प्रयागराज बन चुका है. पौराणिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश का यह जिला धार्मिक रूप से भी बहुत महत्व रखता है. प्रदेश के कई प्रशासनिक कार्यों का केंद्र प्रयागराज यूपी का “मिनी कैप्टिल” भी कहा जाता है. कभी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा प्रयागराज एक दशक से भगवा रंग में रंगा है.
2014 में सपा से बीजेपी में व्यापारी नेता श्याम चरण गुप्ता और 2019 में पूर्व कांग्रेस नेता और यूपी के दिवगंत पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहगुणा जोशी भाजपा से सांसद हैं. रीता सांसद बनने से पहले यूपी की योगी सरकार में 2017 से 2019 तक कैबिनेट मंत्री थी. 2019 में रीता जोशी को 494,454 और दूसरे नंबर रहे सपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह पटेल को 3,10,179 वोट मिले थे, कांग्रेस 31, 953 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रही थी. कुल मिलाकर देखें तो रीता को 184,275 वोट से जीत मिली थी. ऐसे में अब जब आम चुनाव एक बार फिर नजदीक आ गए हैं तो इंडिया अड्डा की टीम प्रयागराजवासियों का मन टटोलने जमीन पर पहुंची और ये जानने का प्रयास किया कि आखिर यहां की जनता के मन में क्या चल रहा है. वो अपने सांसद के काम से कितना खुश हैं, क्या वो उनको दोबरा मौका देना चाहती है या किसी और पार्टी या नेता के बारे में सोच रही है. हमने ये भी जाना की आखिर डबल इंजन की सरकार से प्रयागराज का कितना विकास हुआ और राम मंदिर के बारे में यहां के लोग क्या सोचते हैं.
सवाल नंबर 1- सांसद का रिपोर्ट कार्ड कैसा है?
उत्तर: करीब 80 प्रतिशत लोगों ने सांसद के काम पर खुशी जताई और कहा कि अगर उनको दोबारा टिकट मिलता है तो जनता उनके साथ है. हालांकि, 20 प्रतिशत लोगों का मानना था कि किसी नए चेहरे को मौका मिलना चाहिए.
सवाल नंबर 2- BSP के अलग चुनाव लड़ने का क्या असर होगा?
उत्तर: 90 प्रतिशत लोगों का मानना है कि मौजूदा समय में बसपा और कांग्रेस का वजूद इलाहाबाद में न के बराबर है क्योंकि न इनका संगठन कहीं दिखता है और न कार्यकर्ता. लड़ाई जो है वो भाजपा और सपा में हैं. इसलिए बसपा के अलग चुनाव लड़ने का कोई नुकसान बीजेपी को नहीं है बल्कि फायदा ही है.
सवाल नंबर 3: पार्टी, सांसद या मोदी… किस नाम पर वोट?
उत्तर: 35 फीसदी लोगों ने कहा कि हम तीनों नाम पर वोट करेंगे और बीजेपी को जिताएंगे, तो वहीं 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो पीएम मोदी के नाम पर वोट करेंगे जबकि 10 प्रतिशत लोगों का मानना है कि वो प्रत्याशी के नाम पर अपने मत का प्रयोग करेंगे.
सवाल नंबर 4: किस पार्टी से किसके नाम की चर्चा?
उत्तर: दरअसल, इलाहाबाद सीट में कुल पांच विधानसभा आती हैं, जिसमें मेजा, करछना, प्रयागराज दक्षिण, बारा और कोरांव शामिल हैं, इसमें मेजा छोड़कर सब एनडीए के पास है. इंडिया अड्डा की टीम ने जब प्रयागराज दक्षिण, मेजा, करछना के कुछ इलाकों का दौरा किया तो वहां पर कई नाम की चर्चा चाय-नाशता की दुकानों और लोगों की जुंबा पर सुनने को मिलीं.
प्रयागराज दक्षिण में शहर की पूर्व मेयर और यूपी सरकार में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ की पत्नी अभिलाषा के पक्ष में लोगों का मिजाज दिखा, तो वहीं, मेजा, करछना में पूर्व विधायक नीलम उदयभान करवरिया का नाम प्रमुख रूप से आता दिखा. हालांकि, कुछ लोगों योगेश शुक्ला का भी नाम लेते दिखे. लेकिन कुछ न दबी जुबान यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का भी नाम लिया. इन नाम पर गौर फरमाएं तो रीता, नीलम में ब्राह्मण, अभिलाषा गुप्ता वैश्य और केशव ओबीसी हैं.
वहीं, जब अन्य दलों के प्रत्याशियों के बारे में पूछा गया तो सब ब्लैंक नजर आए, सपा को छोड़कर बसपा और कांग्रेस पर मौन रहे. प्रयागराज दक्षिण में कुछ लोगों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता रहे संदीप यादव और पूर्व जिलाध्यक्ष पंधारी यादव की चर्चा की तो कुछ ने कहा कि पूर्व मंत्री उज्जवल रमण सिंह भी ताल ठोंक सकते हैं. हालांकि, शहर में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में समाजसेवी डॉ. नीरज के पोस्टर-बैनर जरूर दिखे.
सवाल नंबर 5: राम मंदिर पर क्या सोचते हैं प्रयागी?
उत्तर: करीब 83 प्रतिशत लोगों का मानना था कि सिर्फ मोदी ही ये ये कर सकते थे, और हम उनके साथ हैं. लोगों ने मोदी की गारंटी पर भरोसा जताया और कहा कि राम मंदिर इस बार के चुनाव का मुख्य मुद्दा है. उनका दावा था कि धर्मनगर, तीर्थक्षेत्र प्रयागराज का डंबल इंजन का सरकार में बहुत तेजी से विकास हुआ है.
(बता दें कि सर्वे को जनवरी के पहले हफ्ते में किया गया था. हमने अपने दौरे दौरान करीब 1000-1200 लोगों से बात की. इस सर्वे में कुछ और सवाल पूछे गए थे जिसका जवाब हम अपने अगली रिपोर्ट में देंगे. देश दुनिया के साथ-साथ विश्लेषण से भरी खबर पढ़ने के लिए indiaaddanews.com को लॉग इन करें. इसके साथ ही हमारे वीडियोज को देखना ना भूलें.)