भारत का वो मंदिर जिसमें राम-रावण विराजते हैं एक साथ, दिल्ली से दूरी महज 35 KM
इंडिया अड्डा
Ravan Temple News: देश की राजधानी दिल्ली और यहां से करीब 35 किलोमीटर दूर गौतमबुद्ध नगर जिले का बिसरख गांव अपनी प्राचीनता के लिए मशहूर है। इसका जिक्र शिवपुराण में मिलता है। वजह भी खास है। बताया जाता है कि इसी गांव में विश्रवा ऋषि के यहां रावण का जन्म हुआ। यह पहला ऐसा मंदिर है, जहां राम और रावण एक ही जगह पूरे वैभव के साथ विराजमान हैं।
क्या है शिवलिंग का रहस्य
माना जाता है कि बिसरख गांव में विश्रवा ऋषि ने एक अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना की। रावण भी इसी अष्टभुजी शिवलिंग की पूजा करता था। रावण की इस पूजा से खुश होकर भगवान शिव ने उसे इसी जगह बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दिया। गांव में आज भी खुदाई के दौरान शिवलिंग निकलते हैं। कहा जाता है कि गांव के लोगों ने शिवलिंग की खुदाई भी कराई लेकिन कोई छोर नहीं मिला। शिवलिंग की गहराई आज भी एक रहस्य है। इस बात को गांव के अशोक भी कहते हैं।
मंदिर में है हजारों साल पुरानी सुरंग
इसी मंदिर से एक सुरंग भी निकलती है। यह सुरंग गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर तक जाती है। कहा जाता है कि रावण अपने पिता के साथ इसी सुरंग से होकर रोजाना भगवान शिव की पूजा करने के लिए जाता था। हालांकि, अभी यह सुरंग बंद है। इस सुरंग के बारे में लोगों ने बताया कि रावण और उसके वंशजों से जुड़े इस मंदिर को देखने और पूजा करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वह उस शिवलिंग का दर्शन करते हैं जहां रावण बैठकर पूजा करता था। मंदिर में आईं एक महिला से हमने पूछा कि क्या वह रावण की पूजा करने आई हैं तो उन्होंने कहा कि रावण की नहीं वह भगवान शिव की पूजा करने आई हैं। महिला ने कहा कि रावण बुद्धिमान था लेकिन अहंकारी था।
मंदिर में यूपी के बलिया के कुछ बच्चे भी मिले जो रावण की जन्मभूमि और शिवलिंग का दर्शन करने आए थे। मंदिर और इसकी प्राचीनता से तो आप रूबरू हो ही गए। अब इस मंदिर के दूसरे पक्ष की बात करते हैं। भगवान शिव और रावण से जुड़ा यह मंदिर आज भी उपेक्षा का शिकार है। लोगों की सबसे बड़ी शिकायत यहां पहुंचने को लेकर है। लोगों का कहना है कि रास्ता ठीक न होने की वजह से मंदिर तक पहुंचने में उन्हें काफी परेशानी होती है।बारिश के समय में कच्ची सड़क पर पानी भर जाता है। फिसलन की वजह से ड्राइव करना मुश्किल है।
योगी सरकार से क्यों है शिकायत
प्रदेश की योगी सरकार राज्य के मंदिरों का कायाकल्प करने और उन्हें चमकाने के लिए अनुदान दे रही है…तो इतने बड़े मंदिर की उपेक्षा देखकर हमें भी हैरानी हुई। इस पर हमने मंदिर के पुजारी से बात की। पुजारी ने बताया कि मंदिर का पूरा खर्च गांव के लोग उठाते हैं। हर जरूरत गांव से पूरी होती है। पुजारी ने बताया कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए वह स्थानीय विधायक, सांसद से लेकर सीएम योगी और पीएम तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं उनकी तरफ से बार-बार आवेदन भेजे जाते हैं लेकिन कहीं-कोई सुनवाई नहीं हुई आवेदनों का पुलिंदा बन चुका है। फाइल मोटी होती जा रही है मंदिर की सुध नहीं लेने की पीड़ा, दुख और निराशा पुजारी के चेहरे पर झलकती रही।
दूर-दराज से आने वाले शिव भक्त इस प्राचीन मंदिर की भव्यता एवं गौरव को स्थापित होते देखना चाहते हैं।लोग चाहते हैं कि यह मंदिर भी प्राचीन मंदिरों की तरह चमके और दमके गांव के लोग अपना सहयोग तो दे ही रहे हैं। सरकार अगर आगे आती है तो यह मंदिर भी एक बड़े धार्मिक स्थल के रूप में उभरेगा।