पृथ्वी की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है नॉर्थ सिक्किम, मन मोह लेते हैं झरनों के संगीत, बर्फीली वादियां
Sikkim Diaries : समय था 2021 अक्टूबर। कोरोना अभी अपनी उपस्थिति बनाए हुए था। सावधानियां बरती जा रही थीं लेकिन अब हम ऊब चुके थे अपने एकरस जीवन से। दूसरे शहरों में बसे अपने प्रियजनों से ना मिल पाने की बेचैनी भी बढ़ती ही जा रही थी। ऐसे में बच्चे देवदूत बन के आये और उन्होंने हमें एक ऐसी जगह पर इकठ्ठा करने का फैसला किया जिसके बारे में हमने कभी सोचा तक नहीं था। बस फिर क्या ? आनन-फानन में कलकत्ता, दिल्ली, और गोरखपुर से सबने ट्रेन पकड़ी और पंहुच गए जलपाईगुड़ी। वहां से दो गाड़ियां कीं और फिर चल पड़ी हम एक दर्जन लोगों की टीम ना भुलाने वाली सिक्किम की यात्रा पर।
सिक्किम, वह भी नॉर्थ यानी उत्तरी सिक्किम, नैसर्गिक सुंदरता की ऐसी बानगी पेश करता है, जो अद्वितीय है। लेकिन इससे पहले कि हम सिक्किम की सीमा में प्रवेश करते, कुछ ऐसी मजेदार घटनाएं हमारे साथ घटने वाली थी जिनका हमें बिलकुल भी अंदाज़ा ना था। जलपाईगुड़ी से गंगटोक तक की हमारी यात्रा की शुरुआत और अंत दोनों ही दुर्घटना से हुआ। सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े की तर्ज पर चलते ही एक साईकिल वाले को टक्कर मारी और गंगटोक पंहुचते ही एक सज्जन की गाड़ी को ठोंक दिया। यात्रा के समय में थोड़ा इजाफा हुआ। इस थोड़े इजाफे में कुछ और घंटे जुड़ गए क्योंकि मुख्य मार्ग भूस्खलन की वजह से बंद था तो टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी रास्तों से होकर जाना पड़ा।
…तो कोसते हुए गाड़ी में बैठे रहते
अगर शहर में कहीं कुछ ऐसा हुआ होता तो हम खुद को, सरकार को, प्रशासन को और ना जाने किस-किस को कोसते हुए गाड़ी में बैठे रहते। लेकिन यहां तो ऐसा लग रहा था कि यह यात्रा कभी खत्म ही न हो। आह! ऐसे मनोरम दृश्य, कदम कदम पर झरने, रंग-बिरंगे फूल, घटियां, वादियां, हिमालय की चोटियां। पर जब ड्राइवर ने गाड़ी ठोंकी और शोर मचा तो ऐसा लगा कि छन से जो टूटा कोई सपना। खैर, ड्राइवर और सज्जन को पीछे छोड़ होटल पंहुचे। और कुछ ही देर में हम वापस गंगटोक की सड़कों पर, बाजार में टहलने पंहुच गए। ऐसा लग रहा था हमारा एक-एक मिनट कीमती है और जितना हो सके उतना इस शहर की खूबसूरती को अपने हृदय में कैद कर लेना है।
लाचेन: हिमालय की कविता
अगली सुबह, हम जल्दी ही लाचेन के लिए निकल पड़े, लगभग 6 घंटे की यह यात्रा एक प्रकृति से एक ऐसा साक्षात्कार थी, जहां हमारी बातें ही ना खतम हों, अभी वादियों से कुछ कहें, की झरने गुनगुनायें, उन्हें देख मुस्काए तब तक रंग-बिरंगे फूल मन मोह ले जाएं। प्रकृति की सुंदरता में लिपटे सेवन सिस्टर झरने और नागा झरने ने हमें जैसे मोहित ही कर लिया। शाम को जब लाचेन पहुंचे तो यूं लगा की बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां हमारा स्वागत करने के लिए तैयार खड़ी थीं।
गुरुडोंगमार झील
एक ऐसा झील जिससे पौराणिक और मिथकीय कथाएं जुड़ी हैं। वहां पंहुचने के लिए कुछ खास तैयारी करनी पड़ी थी। ऑक्सीजन सिलिंडर, दवाएं, गर्म पानी, इत्यादि का विशेष तौर पर ध्यान रखना पड़ा था। रस्ते में मिलिट्री वालों ने भी चेतावनी दे दी थी कि बच्चे साथ में हैं तो थोड़ा चौकस रहिएगा। लेकिन सारा डर, भय उस झील के मनोरम दृश्य ने खत्म कर दिया। एक अजीब सी आध्यात्मिक अनुभूति से हम सब गुजरे, लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य क देखते हुए हमें जल्दी ही उस जगह से विदा लेनी पड़ी। इस उम्मीद के साथ कि फिर कभी तो यहां आएंगे।
युमथांग घाटी और जीरो पॉइंट
अगले दिन, हमारी मंजिलें मंत्रमुग्ध कर देने वाली युमथांग घाटी और जीरो पॉइंट थीं। जीरो पॉइंट इसलिए कहते हैं कि उससे आगे सड़क मार्ग नहीं है। प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग, युमथांग घाटी के विस्तार और जीरो प्वाइंट पर धूप में चांदी जैसे चमकते बर्फ के बीच प्रियजनों के साथ बिताए क्षणों ने कुछ ऐसी स्मृतियां गढ़ी हैं, जो हमेशा के लिए हमारे ह्रदय में कैद हैं। एक तो खूसूरत सी जगहें और ऊपर से अपनों का साथ, किसी यात्रा को यादगार बनाने के लिए बिल्कुल सटीक मिश्रण है यह। नॉर्थ सिक्किम पृथ्वी की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है और अपने परिवार के साथ उसकी यात्रा पर जाना हमारे सबसे यादगार पलों में से एक।