यात्रा को यादगार बनाते हैं सुंदरबन के नजारे और बोट का लंच
Sunderban Boat food : सुंदरबन, बोट से यात्रा और इसके नजारे। आपको एक दूसरी दुनिया की सैर कराते हैं। आपाधापी और भागदौड़ की वजह से जीवन में एक जो एकरसता और उचाटपन आ गया होता है बोट पर गुजरने वाले दिन उसमें एक नई ताजगी और ऊर्जा भर देते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी दलदली जमीन यानी मैंग्रोव के बारे में बचपन से ही बहुत सुना था। बंगाल टाइगर और यहां की रहस्य-रोमांच की कहानियां बार-बार यहां आने का न्योता देती थीं लेकिन कभी वहां जाने की तैयारी पूरी नहीं हो पाई। फिर अचानक एक ऐसा भी अवसर आया जब सुंदरबन जाने की इच्छा पूरी हो गई।
नजारों के बीच बोट का सफर
बीते दिसंबर महीने में हम भी संदेशखाली से इसी एक बोट में सवार हुए। वही संदेशखाली जो इस समय महिलाओं पर हुए अत्याचार की वजह से सुर्खियों में है और बंगाल की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। बोट पर सवार होते वक्त सुंदरबन के नजारे और बंगाल टाइगर को देख पाने की लालसा दिल और दिमाग पर छाई हुई थी। बोट से करीब चार घंटे का सफर तय करने के बाद हम अपने ठिकाने पर पहुंचने वाले थे। नदियों से घिरे इलाके में बांधों के बीच एक गांव में बने होटल में रुकना था।
मैंग्रोव के करीब से गुजरना एक अलग अनुभव
सफर लंबा था लेकिन सुंदरबन का नैसर्गिक सौंदर्य, बोट की सवारी और बोट पर अलग-अलग भाव, ताप, तेवर वाले लोग यात्रा को दिलचस्प बना रहे थे। चीजों को देखने और उसे बताने का सभी का अपना सौंदर्यशास्त्र और नजरिया था। वैसे तो बोट नदी के बीच में चल रही थी लेकिन कभी-कभी वह दलदीय किनारों के करीब से होकर भी गुजरती थी। फिर क्या था जंगल साफ नजर आने पर आंखें बंगाल टाइगर को ढूंढने लगती थीं।
वेज, नॉनवेज सभी के लिए इंतजाम
कुछ एक घंटे बोट पर गुजरा ही था कि लंच का समय हो गया। यह तो पता था कि बोट पर लंच और नाश्ता मिलेगा लेकिन यह इतना सुव्यवस्थित और स्वादिष्ट होगा इसका हमें अंदाजा नहीं था। इस छोटे से बोट पर 45-50 लोगों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था बहुत ही करीने और साफ-सफाई से की गई थी। छोटे बजट की यात्रा में खाने-पीने की यह व्यवस्था उम्मीद से परे थी। वेज हो या नॉनबेज। सभी के लिए इंतजाम था। मछली, अंडा,चिकन, मटन, दाल, पनीर, पापड़, सलाद, मिठाई, चाय, काफी सबकुछ उपलब्ध था। जिस चाव से लोग खाना दोबारा-तिबारा ले रहे थे। उससे जाहिर था कि बोट के खाने का जायका पसंद आ रहा था।
आप भी एक बार जरूर जाएं
खाने में स्वाद तो था ही लेकिन नैसर्गिक दृश्य और खाने के स्वाद का यह अनोखा मिलन यात्रा के इस आनंद को कई गुना बढ़ा रहा था। बीच नदी में यह अपने आप में एक दिव्य अनुभूति थी। इस तरह के अहसास ही ताउम्र यादगार के रूप में आपके साथ रह जाते हैं। इस अनोखी यात्रा के दौरान बोट के खाने का स्वाद। इस तरह मन मिजाज पर छाया हुआ है कि सुंदरबन का जिक्र होते ही खाने का वह स्वाद फिर से जिह्वा पर तैर जाता है। अगर आप भी इस अहसास से गुजरना चाहते हैं तो आपको भी एक बार सुंदरबन की यात्रा जरूर करनी चाहिए।